महाराष्ट्र। बड़ी खबर महाराष्ट्र से आ रही है। राष्ट्रपति चुनाव में शिवसेना ने एनडीए की प्रत्याशी द्रौपदी मुर्मू का समर्थन करने का एलान किया है।
पार्टी नेता संजय राउत ने यह जानकारी देते हुए कहा कि इसका मतलब भाजपा का समर्थन करना नहीं है। हम आदिवासी नेता के नाम पर द्रौपदी मुर्मू का समर्थन कर रहे हैं। इसके अलावा जनभावना का ख्याल रखते हुए भी यह फैसला लिया गया है।
मीडिया से बातचीत में संजय राउत ने कहा कि द्रौपदी मुर्मू का समर्थन शिवसेना इसलिए कर रही है, क्योंकि जनभावना उनके साथ है। इसके साथ ही उन्होंने संयुक्त विपक्ष के उम्मीदवार यशवंत सिन्हा को लेकर कहा कि हमारी सद्भावना उनके साथ है।
बता दें कि विपक्ष के उम्मीदवार को लेकर जब मीटिंग हुई थी, तब उसमें शिवसेना ने भी हिस्सा लिया था, लेकिन अब उसका रुख विपक्षी एकता को भी एक झटके जैसा है।
संजय राउत ने कहा कि उद्धव ठाकरे ने कल हुई सांसदों की मीटिंग में कहा कि देश में राष्ट्रपति चुनाव को लेकर अलग-अलग मत हैं, लेकिन द्रौपदी मुर्मू देश की पहली आदिवासी कैंडिडेट हैं।
संजय राउत ने कहा कि यह देखना अहम है कि जनभावना क्या है। यह पहला मौका नहीं है, जब शिवसेना ने अपने गठबंधन से इतर उम्मीदवार का समर्थन किया है। इससे पहले 2007 में भी उसने एनडीए में रहते हुए यूपीए की कैंडिडेट प्रतिभा पाटिल को समर्थन दिया था। तब उसने मराठी नेता के नाम पर प्रतिभा पाटिल का समर्थन किया था।
इसके बाद 2012 में उसने प्रणब मुखर्जी का समर्थन किया था। अब वह महाराष्ट्र में कांग्रेस के साथ गठबंधन में है, तो उसने एनडीए कैंडिडेट के समर्थन का एलान किया है।
यहां बता दें कि उद्धव ठाकरे ने कल सांसदों की मीटिंग बुलाई थी। इसमें 19 लोकसभा सांसदों में से 12 ही पहुंचे थे और 7 गायब थे। यही नहीं मीटिंग में शामिल सांसदों ने भी ठाकरे पर दबाव बनाया था कि पार्टी को द्रौपदी मुर्मू का समर्थन करना चाहिए। इस पर उद्धव ठाकरे ने विचार करने की बात कही थी।
अब संजय राउत के बयान से साफ है कि पार्टी बचाने के लिए शिवसेना को अपने रुख में तब्दीली लानी पड़ी है।
गौरतलब है कि पार्टी के 55 में से 40 विधायक एकनाथ शिंदे के साथ चले गए हैं। इसके अलावा बड़ी संख्या में सांसदों के भी एकनाथ शिंदे के समर्थन में होने की बात कही जा रही है।