बीएयू ने परंपरागत फसल किस्मों को संरक्षित करने की पहल की

कृषि झारखंड
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  • आदिवासी किसानों को उन्नत धान किस्मों का वितरण किया गया

रांची। बिरसा कृषि विश्वविद्यालय के वैज्ञानिक दल ने झारखंड के खूंटी जिले के उलीहातू गांव में किसानों लिए ‘सामुदायिक ज्ञान की सुरक्षा” विषयक एक दिवसीय बैठक की। बीज वितरण कार्यक्रम का आयोजन किया।

बैठक में वानिकी संकाय के वनोत्पाद एवं उपयोगिता विभाग के अध्यक्ष डॉ कौशल कुमार ने बताया कि फसलों के पादप अनुवांशिकी और स्थानीय परंपरागत फसल किस्मों को संरक्षित करने वाले आदिवासी किसानों एवं कृषक समुदाय की खोज की पहल बीएयू वैज्ञानिक दल ने भगवान बिरसा मुंडा की जन्मस्थली उलिहातु गांव से की जा रही है। मौके पर डॉ कुमार ने फसलों के पादप अनुवांशिकी और परंपरागत फसल किस्मों के महत्‍व एवं उपयोगिता पर प्रकाश डाला।

कृषि विज्ञान केंद्र, सिमडेगा के वैज्ञानिक डॉ बंधनु उरांव ने बताया कि पीढ़ी दर पीढ़ी उपयोग में लाई जाने वाली फसलों की पादप अनुवांशिकी विविधता का विशेष महत्‍व है। जो भावी पीढ़ी के लिए अमूल्य धरोहर है। इन परंपरागत फसल किस्मों को संरक्षित किये जाने की आवश्यकता है।

बैठक में मौजूद आदिवासी किसानों एवं कृषक समुदाय से वैज्ञानिकों से स्थानीय परिवेश के उपयुक्त फसलों के पादप अनुवांशिकी और परंपरागत फसल किस्मों पर विस्तृत चर्चा कर  सर्वेक्षण कार्य पूरा किया गया। इस सर्वेक्षण में वैज्ञानिकों को सफलता मिली। बैठक में धान की दो परंपरागत पादप अनुवांशिकी का पता चला, जिसे स्थानीय भाषा में ‘जोलपो’ और ‘दा बाबा’ नाम से जाना जाता है। किसानों से दोनों किस्मों की खेती के अनुभवों को साझा किया गया।

किसानों ने परंपरागत रूप से उपयोगी औषधीय वनस्पति ‘मंडूकपर्णी’ की भी चर्चा की, जिसे उलीहातू में ‘चोके अड़ा’ कहा जाता है। मौके पर वैज्ञानिकों ने ‘मंडूकपर्णी’ के संरक्षण की जानकारी किसानों को दी।

मौके पर बीएयू में संचालित आईसीएआर-नेटवर्क प्रोजेक्ट ऑन आर्गेनिक फार्मिंग की ट्राइबल सब प्लान अधीन धान बीज वितरण कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस अवसर पर खूंटी जिले के उलीहातू गांव के 40 आदिवासी किसानों को वैज्ञानिकों ने धान की उन्नत किस्मों का 6.5 क्विंटल बीज का अग्रिम प्रत्यक्षण लगाने के लिए वितरण किया।

मौके पर परियोजना के शोधार्थी डॉ रूपलाल प्रसाद ने वितरित किये गये धान के तीन उन्नत किस्मों सहभागी, स्वर्ण शक्ति एवं स्वर्ण श्रेया की विशेषता एवं फसल प्रबंधन की जानकारी दी। बीज वितरण में एटिक केंद्र के प्रकाश कुमार ने सहयोग दिया।