देवघर एयरपोर्ट के वीआईपी कक्ष में दिखेगी झारखंडी संस्कृति की झलक

झारखंड
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देवघर। अपनी प्रतिभा का लोहा का लोहा मनवा चुकीं झारखंड की चार आदिवासी सुंदरियों की कलाकृति देवघर एयरपोर्ट के वीआइपी कक्ष और लोन में लगायी गयी है।

इसे साहेबगंज के चित्रकार अमृत प्रकाश ने बनाया है। अमृत प्रकाश ने इस कलाकृति के बारे में जानकारी देते हुए बताया कि अजंता कला के तहत कृष्णा बम, बाबा बैद्यनाथ टारजन लेडी, जनजीवन कला आदिवासी समाज पर अधारित है।

पीएम मोदी इस कक्ष में थोड़ी देर ठहरेंगे, जहां उनके लिए चाय की व्यवस्था की गयी है। अमृत प्रकाश की मानें तो ये कलाकृति आदिवासियों की संस्कृति और उनकी जीवनशैली पर आधारित है।

गोल्डन लेडी :

महिला वास्तव में गहरे रंग की है। रंग अद्वितीय और बेजोड़ सुंदरता को पकड़ने का प्रयास करता है, जो आदिवासी समुदाय के गहरे रंग से कंपन करता है। अपील है कि जिसने अजंता कलाकारों को भी सूचित किया था, जिन्होंने अजंता की प्रसिद्ध प्राचीन बौद्ध गुफा की दीवारों और छतों पर समान रूप से गहरे रंग की सुंदरियों को चित्रित किया था। संथाली आबादी द्वारा उपयोग की जानेवाली विशिष्ट प्रकार की पोशाक है, जो भारतीय परंपरा, संस्कृति और समाज का प्रतीक रहा है।

टार्जन लेडी :

यह काम सीधे तौर पर झारखंड की तथाकथित गोल्डन लेडी या टार्जन लेडी पद्मश्री जमुना टुडू से प्रेरित है। उन्होंने झारखंड के जंगलों में लाखों पेड़ लगाने, संरक्षित करने और उनका पोषण करने के लिए जनजातीय आंदोलन का नेतृत्व किया। भारत में आदिवासी समुदायों के साथ-साथ अन्य सभ्यताओं में स्वदेशी समुदायों में हमेशा प्रकृति के साथ एक स्थायी पारिस्थितिकी तंत्र रहा है। वे प्रकृति को नष्ट नहीं करते, बल्कि उनका संरक्षण करतीं हैं। उनकी जीवनशैली शून्य कार्बन पदचिह्न छोड़ती है।

संताली महिला :

यह मूर्ति आदिवासी संस्कृति और सुंदरता के एक और आयाम को लाने का एक और प्रयास भी है। वह झारखंड में संतालों की कला से जुड़े कई प्रतीक से सुशोभित है। इस काम में संताली महिलाओं की सादगी और मासूमियत को पकड़ने का प्रयास किया गया है।

भक्तिनी कृष्णा बम :

मूर्तिकला एक अन्य महान महिला से प्रेरित है। उसका नाम कृष्णा बम है। वह भगवान शिव की अनन्य भक्त हैं। वह हर साल बिहार के देवघर में बाबा धाम की तीर्थ यात्रा पर जा रही हैं। तीन दशकों से अधिक समय तक, हर साल, लेकिन कभी-कभी साल में एक से अधिक बार, वह भारत में विभिन्न पवित्र स्थलों के लिए सैकड़ों किलोमीटर पैदल चलती हैं। भगवान शिव को चढ़ाने के लिए गंगाजल ले जानेवाली सबसे तेज कांवरियों में से हैं। वह कम से कम समय में सबसे लंबे ट्रैक करने के लिए प्रसिद्ध है।