- प्रयोगशाला पशुओं के नैतिक उपयोग पर कार्यशाला व व्यावहारिक प्रशिक्षण का समापन
रांची। बीएयू अधीन संचालित वेटनरी संकाय के पशुचिकित्सा रोग विभाग एवं निर्देशात्मक पशु आचार समिति के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित जैव चिकित्सा अनुसंधान में प्रयोगशाला पशुओं के नैतिक उपयोग विषयक तीन दिवसीय कार्यशाला व व्यावहारिक प्रशिक्षण का समापन शुक्रवार को हुआ। कार्यक्रम में रांची वेटनरी कॉलेज, रिम्स, बीआईटी, मेसरा और केन्द्रीय विश्वविद्यालय, दक्षिण बिहार के कुल 55 पीजी एवं पीएचडी विद्यार्थियों एवं शिक्षकों ने भाग लिया।
समापन पर मुख्य अतिथि निदेशक अनुसंधान डॉ एसके पाल ने प्रतिभागियों से कार्यशाला में मिले ज्ञान एवं अनुभवों के बारे में जाना। उन्हें प्रमाण-पत्र प्रदान किया। डॉ पाल ने कहा कि मानव स्वास्थ्य चिकित्सा के खोजों में प्रयोगशाला पशुओं सर्वाधिक महत्वपूर्ण उपयोग है। जैव चिकित्सा अनुसंधान की इस प्रक्रिया में शोधार्थियों को राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय मानकों एवं दिशा-निर्देशों का पालन करना चाहिए। मूक पशुओं को प्रभावित करने वाले तनाव कारक पर विशेष ध्यान देते हुए चिकित्सा अनुसंधान में पशुओं का न्यूनतम नैतिक उपयोग करना चाहिए।
कार्यशाला के विशेषज्ञ केन्द्रीय विश्वविद्यालय, दक्षिण बिहार के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ शक्ति प्रसाद पटनायक ने बदलते आधुनिक परिवेश में जैव चिकित्सा अनुसंधान में प्रयोगशाला पशुओं के नैतिक उपयोग में मानक तकनीकों से अवगत कराया।
स्वागत करते हुए डीन वेटनरी डॉ सुशील प्रसाद ने प्रयोगशाला पशुओं के नियमित निरीक्षण की विधियों और आनुवंशिक लक्षण, पहचान संख्या, रक्त और शरीर की कोशिकाओं का संग्रह, पूर्व और बाद के मामलेका संग्रहण, इंजेक्शन की तकनीक, पशुओं की पहचान और लक्षण, विभिन्न मार्गों द्वारा इंजेक्शन, विभिन्न एजेंट्स का उपयोग आदि में विशेष सतर्कता बरतने की बात कही।
मौके पर प्रतिभागियों में डॉ विशाखा सिंह कार्यशाला को पशु चिकित्सा अनुसंधान में बेहद उपयोगी बताया। संकाय में नियमित तौर पर ऐसे आयोजन की जरूरत पर बल दिया। प्रतिभागियों में प्रीति मंडल एवं शशि रंजन ने भी अपने अनुभवों को साझा किया।
संचालन डॉ स्वाति सहाय और धन्यवाद पाठ्यक्रम निदेशक डॉ एमके गुप्ता ने किया। मौके पर डॉ एके पांडे, डॉ सुरेश मेहता, डॉ राजू प्रसाद, डॉ प्रवीण कुमार, डॉ ग्लोरिया तिग्गा, रिम्स के चिकित्सक डॉ नीरज कुमार, डॉ विनीता प्रसाद, डॉ पविका कुमारी, डॉ रिंकी गुप्ता एवं डॉ संजय मंडल आदि भी मौजूद थे।