बिरसा कृषि विश्वविद्यालय में पंचगव्य सम्मेलन 22 और 23 जून को

झारखंड
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रांची। तृतीय पंचगव्य सम्मेलन का आयोजन रांची पशुचिकित्सा महाविद्यालय प्रेक्षागृह में 22 और 23 जून को होगा। बिरसा कृषि विश्वविद्यालय, पंचगव्य विद्यापीठम (कांचीपुरम, तमिलनाडु) एवं झारखंड पंचगव्य डॉक्टर्स एसोसिएशन के संयुक्त तत्वावधान में यह हो रहा है। इसमें झारखंड, बिहार, पश्चिम बंगाल, छत्तीसगढ़, उड़ीसा और तमिलनाडु के 100 से अधिक पंचगव्य चिकित्सक भाग लेंगे। सम्मेलन के मुख्य अतिथि झारखंड के वित्त मंत्री डॉ रामेश्वर उरांव और विशिष्ट अतिथि कृषि, पशुपालन एवं सहकारिता मंत्री बादल पत्रलेख होंगे।

पशुचिकित्सा संकाय के डीन डॉ सुशील प्रसाद ने बताया कि सम्मेलन के आयोजन सचिव बीएयू के सिद्धार्थ जायसवाल एवं आरवीसी के डॉ प्रवीण कुमार हैं। पंचगव्य विद्यापीठम के गव्यसिद्धाचार्य गुरुकुलपति डॉ निरंजन भाई वर्मा मुख्य वक्ता होंगे। बिरसा कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ ओंकार नाथ सिंह, पशु चिकित्सा संकाय के डीन डॉ सुशील प्रसाद, एनआईटी, जमशेदपुर के पूर्व डीन डॉ वीरेन्द्र कुमार और झारखंड प्रदेश पंचगव्य डॉक्टर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष गव्य सिद्धाचार्य मदन सिंह कुशवाहा भी विशिष्ट वक्ता के रूप में भाग लेंगे।

डॉ निरंजन भाई वर्मा के निर्देशन में चिकित्सकों द्वारा नाड़ी परीक्षण आधारित पंचगव्य चिकित्सा परामर्श प्रदान किया जाएगा। गो विज्ञान, चिकित्सा, जैविक खेती, पर्यावरण, स्वरोजगार, असाध्य रोगों की चिकित्सा आदि विषयों पर प्रेजेंटेशन भी होंगे। पंचमहाभूत साधना और गो वंदना का भी कार्यक्रम है। पंचगव्य चिकित्सा पद्धति में देशी गाय से प्राप्त दूध, गोबर, गोमूत्र, दही एवं घी तथा उनके मिश्रण से तैयार औषधि से रोग प्रबंधन एवं नियंत्रण और प्रकृति के निकट रहने का परामर्श दिया जाता है।

पंचगव्य विद्यापीठम, कांचीपुरम द्वारा पंचगव्य चिकित्सा में एक वर्ष का डिप्लोमा और दो वर्ष का मास्टर डिप्लोमा पाठ्यक्रम चलाया जा रहा है। देश भर में लगभग 3000 लोग इस विद्यापीठम से डिप्लोमा और डिग्री प्राप्त कर पंचगव्य चिकित्सक के रूप में प्रैक्टिस कर रहे हैं।