
- शिक्षा मंत्री के साथ बैठक में राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ ने रखें कई सुझाव
रांची। झारखंड के शिक्षा मंत्री जगरनाथ महतो की अध्यक्षता में उनके आवासीय परिसर में राज्य के विभिन्न शिक्षा संगठनों की बैठक 9 जून को हुई। मौके पर राज्य के शिक्षा और शिक्षकों की समस्या और निराकरण के संदर्भ में चर्चा हुई।
बैठक में झारखंड प्रदेश शिक्षक संघर्ष मोर्चा के सभी संगठन राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ झारखंड प्रदेश, झारखंड प्रदेश प्राथमिक शिक्षक संघ, झारखंड राज्य उर्दू शिक्षक संघ, झारखंड स्टेट प्राइमरी टीचर्स एसोसिएशन के सभी संयोजक सदस्यों ने उक्त बैठक में हिस्सा लिया। महासंघ के प्रतिनिधिमंडल में शैलेंद्र सुमन, विजय बहादुर सिंह, अमीन अहमद, अरुण कुमार दास, मंगलेश्वर उरांव, मुमताज अहमद उपस्थित थे।
महासंघ के मुताबिक मांग एवं सुझावों पर मंत्री ने सकारात्मक रुख अख्तियार किया। तमाम बातों को स्टेज बाई स्टेज समाधान करने का आश्वासन दिया। इसके अतिरिक्त राज्य के बच्चे एवं शिक्षकों के साथ शिक्षक नियुक्ति पर विशेष बल दिया गया। बैठक का आरंभ मंत्री के उद्बोधन से हुआ। उन्होंने राज्य के शिक्षा एवं शिक्षकों की समस्याओं के साथ निराकरण पर विचार आमंत्रित किया।
प्रतिनिधिमंडल ने ये बातें रखी
विद्यालयों के लिए वार्षिक शैक्षणिक कैलेंडर का निर्माण कर कार्य संपादन किया जाए।
केंद्रीय विद्यालय (केवी) की तर्ज पर विद्यालय की समय सारणी बनाते हुए माह में दो शनिवार की छुट्टी सुनिश्चित किया जाना उचित होगा।
राज्य के स्कूलों में एक गुणवत्तापूर्ण युक्त टेबलेट की व्यवस्था कराई जाए। तभी शिक्षकों से बायोमैट्रिक अटेंडेंस बनाने के लिए आदेश पारित किया जाय।
शिक्षकों को पुर्नरूपेण गैर शैक्षणिक कार्यों से मुक्त रखते हुए सिर्फ और सिर्फ विद्यालयों में शिक्षण कार्य लिया जाय।
नई शिक्षक नियुक्ति नियमावली के नई वेतनमान के स्थान पर वर्तमान वेतनमान पर ही नियुक्त करने का आग्रह किया गया।
वर्षों से सभी ग्रेडों में लंबित प्रोन्नति को यथाशीघ्र दी जाय।
अंतरजिला स्थानांतरण सहित राज्य में समय पर सुविधाजनक विद्यालयों में स्थानांतरण का कार्य किया जाय।
पुरानी पेंशन को अविलंब लागू किया जाय।
शिक्षकों को मेडिकल भत्ता के स्थान पर स्वास्थ्य बीमा योजना के तहत लाया जाय।
पीआरटी से नियुक्त हुए टीजीटी एवं पीटीजी में नियुक्त शिक्षकों को एलपीसी के अनुसार पे प्रोटेक्शन के आधार पर वेतन निर्धारण किया जाय।
सेंट्रल किचन से एमडीएम यथाशीघ्र लागू किया जाय।
विद्यालयों को अनावश्यक रिपोर्टिंग के कार्य से मुक्त किया जाय।
छठे वेतनमान के अनुरूप प्राथमिक शिक्षकों को देय एवं अनुशंसित उत्क्रमित वेतनमान यथाशीघ्र दी जाय।
राज्य के शिक्षा बजट का एक बड़ा हिस्सा विभिन्न एनजीओ को शिक्षा में गुणवत्ता के नाम पर दिया जा रहा है, जो मात्र एक लूटतंत्र के रूप में इस्तेमाल किया जा रहा है। यह राज्य के बच्चों की जमीनी हकीकत से कोसो दूर रहकर कार्य कर रहे हैं। इससे राज्य के शिक्षा एवं शिक्षक पर प्रतिकूल असर पड़ रहा है।