केंद्र सरकार की नीति के खिलाफ कोयला उद्योग में सीटू का आंदोलन 15 जून से

झारखंड
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  • वेतन समझौते में देरी सहित तीन मामलों को लेकर तैयार हुई रणनीति

रांची। कोयला उद्योग पर केंद्र सरकार के हमले के खिलाफ सीटू से संबद्ध ऑल इंडिया कोल वर्कर्स फेडरेशन 15 जून से आंदोलन करेगा। इसके तहत पूरे कोयला उद्योग में जन जागरुकता अभियान चलाया जाएगा। इसके माध्‍यम से मजदूरों को केंद्र सरकार की मंशा से अवगत कराया जाएगा। यह निर्णय फेडरेशन की केंद्रीय कार्यकारिणी की झारखंड की राजधानी रांची में हुई दो दिवसीय बैठक में हुआ। यह जानकारी फेडरेशन के अध्‍यक्ष वासुदेब आचार्य, महासचिव डीडी रामानंदन, सीटू के केंद्रीय अध्‍यक्ष तपन सेन और एनसीओई के महासचिव आरपी सिंह ने 4 जून को प्रेस को दी।

रामानंद ने कहा कि केंद्र सरकार बीसीसीएल, सीएमपीडीआई और ईसीएल को कोल इंडिया से अलग करने की साजिश रच रही है। इस दिशा में कदम बढ़ाया जा चुका है। बीसीसीएल और सीएमपीडीआई का 25 फीसदी हिस्‍सा इसी साजिश के तहत बेचा जा रहा है। इसके बाद ईसीएल का शेयर बेचा जाएगा।

महासचिव ने कहा कि राष्‍ट्रीय मुद्रीकरण पाइपलाइन (एनएमपी) के तहत देश की 160 खदानों को प्राइवेट पार्टी को फ्री में देने की योजना है। इसके तहत लाभ कमाने पर प्राइवेट पार्टी से सरकार मात्र 4 फीसदी लेगी। योजना के तहत अब तक 20 खदानों की नीलामी हो चुकी है। इन खदानों को प्राइवेट पार्टी को 30 साल के लिए दिया जाएगा।

रामानंदन ने कहा कि कोल इंडिया प्रबंधन कामगारों के वेतन समझौते को टाल रहा है। इसपर प्रबंधन ने नकारात्‍मक प्रस्‍ताव दिया है। वेतन समझौता पिछले एक साल से लंबित है। इसे जल्‍द पूरा करने में प्रबंधन रूचि नहीं ले रहा है।

आचार्य ने कहा कि इन्‍हीं मुद्दों पर फेडरेशन 15 जून से 15 जुलाई तक आंदोलन करेगा। इसके तहत देश भर के 400 खदान, ऑफिसों के समक्ष गेट और पीट मिटिंग की जाएगी। इसके माध्‍यम से कामगारों को केंद्र सरकार की मंशा समझाया जाएगा। इस मामले में अन्‍य यूनियनों से बात कर संयुक्‍त रूप से संघर्ष करने की रणनीति तैयार की जाएगी। जरूरत पड़ने पर हड़ताल का फैसला भी लिया जाएगा।

तपन सेन ने कहा कि कोल इंडिया की विनाशकारी नीति के खिलाफ ईसीएल और बीसीसीएल में आंदोलन शुरू हो चुका है। इसे पूरे कोयला उद्योग में फैलाया जाएगा। सरकार की विनाशकारी नीति को कभी सफल नहीं होने दिया जाएगा। कामगारों की एकता के आगे सरकार को झुकना पड़ेगा।

सेन ने कहा कि कोयला उद्योग को खत्‍म करने के लिए सरकार हर तरह के कदम उठा रही है। अभी विदेशों में कोयले की कीमत काफी बढ़ गई है। इसके कारण आयातित कोयले पर आधारित पूंजीपतियों के पावर प्‍लांट बंद हो गये हैं। अब सरकार कोल इंडिया पर कोयला आयात कर उसे आपूर्ति करने का दबाव बना रही है। करीब 23 मिलियन टन कोयले की खपत है।