समतामूलक समाज के निर्माण के अग्रदूत थे डॉ अम्बेडकर : कुलपति

झारखंड
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रांची। समतामूलक समाज के निर्माण के अग्रदूत डॉ भीम राव अम्बेडकर थे। उनका स्पष्ट मानना था कि हमें ऐसे भारत की कल्पना करनी है, जहां सभी नागरिकों को कानून के तहत समान माना जाय। बाबासाहेब ने ‘शिक्षित बनो, संगठित रहो एवं संघर्ष करों’ नारा दिया था। यह आज भी अनुकरणीय है। उक्‍त बातें रांची विश्‍वविद्यालय की कुलपति डॉ कामिनी कुमार ने कही।

कुलपति रांची विश्वविद्यालय की राष्ट्रीय सेवा योजना इकाई के तत्वावधान में डॉ भीमराव अंबेडकर की जयंती 14 अप्रैल को आरयू के कुलपति सभागार में आयोजित संगोष्‍ठी में बोल रही थी। इसका विषय ‘भारतीय संविधान के निर्माता-डॉ अम्बेडकर’ था।

कुलपति ने डॉ अम्बेडकर को एक अपराजेय नायक बताया। कहा कि उन्होंने न्याय के लिए संघर्ष किया। संविधान सभा के अध्यक्ष के रूप में भारतीय संविधान का निर्माण किया, जो हस्तलिखित है। दुनिया का सबसे लंबा संविधान है।

इस अवसर पर आरयू के डीएसडब्ल्यू डॉ राजकुमार शर्मा ने कहा कि डॉ अम्बेडकर एक प्रख्यात अर्थशास्त्री, कानूनविद, राजनेता तथा समाज सुधारक थे। अपने प्रगतिशील कृतित्व एवं रोशन व्यक्तित्व के कारण वे आज भी लाखों लोगों के लिए प्रेरणा स्त्रोत है।

विषय प्रवेश कराते हुए एनएसएस कार्यक्रम समन्वयक डॉ ब्रजेश कुमार ने कहा कि हमें अपने संविधान पर गर्व है। इसका मुख्य श्रेय डॉ अम्बेडकर को जाता है। आधुनिक भारत में सामाजिक समरसता लाने में बाबासाहेब ने अग्रणी भूमिका निभाई।

संगोष्ठी को आईएलएस के समन्वयक डॉ नीतेश राज, एनएसएस के स्वयंसेवक फलक फातिमा, आभास कुमार, प्रिंस तिवारी, मनीष पाठक ने भी संबोधित किया। कार्यक्रम का सफल संचालन श्रद्धांजलि चंद ने और धन्यवाद संदीप राणा ने किया। संगोष्ठी को सफल बनाने में मोनिका, अंकित, नवीन, नैंसी, श्रद्धा, नेहा की भूमिका रही।