नई दिल्ली। यूक्रेन में युद्ध के चलते बीच सत्र में ही मेडिकल की पढ़ाई छोड़कर घर आने वाले छात्रों का साल बर्बाद नहीं जाएगा. इंटरनशिप पूरी नहीं कर पाए ग्रेजुएट छात्र भारत में ही बची हुई इंटर्नशिप पूरी कर सकेंगे या नई इंटर्नशिप के लिए आवेदन कर सकेंगे.
नेशनल मेडिकल कमीशन ने आज यह जानकारी दी है. एनएमसी और सरकार के बीच इस संबंध में चर्चाएं चल रही हैं. इसके जरिये छात्रों के लिए इंटर्नशिप की वैकल्पिक व्यवस्था कराई जा रही है. हालांकि इस वैकल्पिक सुविधा का लाभ उठाने के लिए छात्रों को अपनी मेडिकल पढ़ाई से जुड़े कुछ जरूरी दस्तावेज उपलब्ध कराने होंगे.
एक रिपोर्ट के अनुसार, इस सुविधा के लिए छात्रों का फॉरेन मेडिकल ग्रेजुएट्स एग्जाम पास करना जरूरी है. साथ ही स्क्रीन टेस्ट भी अनिवार्य होगा. विदेश के विश्वविद्यालयों से मेडिसिन की पढ़ाई कर रहे छात्रों को FMGE, स्क्रीनिंग टेस्ट पास करना होगा.
ये शर्तें पूरी करने के बाद छात्र भारतीय मेडिकल ग्रेजुएट के बराबर माने जाएंगे. रूस के आक्रमण के बाद यूक्रेन से लौटे छात्रों को इसस पहल से काफी मदद मिल सकती है. ऐसे में सबसे ज्यादा फायदा उन छात्रों को होगा, जो MBBS के अंतिम वर्ष में हैं.