रांची। नाबार्ड के चेयरमैन जीआर चिंतला ने कहा कि आर्थिक उन्नति के लिए झारखंड के हर ग्रामीण महिलाओं को एसएचजी से जोड़ना होगा। झारखंड राइजिंग स्टेट है। किसानों की आमदनी बढ़ाने पर अधिक ध्यान देना है। यहां मार्केटिंग के लिए आधारभूत संरचना नहीं है। सब्जियों की ग्रेडिंग कर उसे अन्य जगहों पर भेजने के लिए लॉजिस्टिक की सुविधा को बढ़ावा दिया जाएगा। ग्रेडिंग का काम एफपीओ कर सकता है। मार्केटिंग की समस्या का निदान होने पर किसानों की आमदनी बढ़ेगी। कृषि क्रेडिट में भी सुधार आएगा। वह 5 मार्च को नाबार्ड के रांची क्षेत्रीय कार्यालय में प्रेस से बात कर रहे थे।
चेयरमैन ने कहा कि राज्य के गठन के बाद से नाबार्ड ने राज्य में ग्रामीण बुनियादी ढांचे को बढ़ाने के लिए 5110 परियोजनाओं के लिए 16,290 करोड़ रुपये स्वीकृत किया है। उन्होंने राज्य में आरआईडीएफ कोष के अधिक आवंटन के माध्यम से भौतिक और ग्रामीण बुनियादी ढांचे को बढ़ावा देने की वकालत की। वित्त वर्ष 21-22 के लिए नाबार्ड 2100 करोड़ रुपये मंजूर करेगा। राज्य सरकार को 1800 करोड़ रुपये देगा। उन्होंने बहु सेवा केंद्र (एमएससी) के रूप में पैक्स की नाबार्ड की योजना के साथ एआईएफ की भारत सरकार की योजना को जोड़कर कृषि विपणन बुनियादी ढांचे को बढ़ाने पर भी जोर दिया।
नाबार्ड इस योजना के तहत सहकारी बैंक को 4% की दर ऋण उपलब्ध कराती है। भारत सरकार द्वारा 3 % की ब्याज अनुदान के बाद ऋण का प्रभावी दर 1% होता है। इसके अलावा, नाबार्ड डेयरी इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट फंड, फिशरीज इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट फंड, राज्यों को ग्रामीण इंफ्रास्ट्रक्चर सहायता, नाबार्ड इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट असिस्टेंस जैसी योजनाओं के माध्यम से मार्केटिंग इंफ्रास्ट्रक्चर को भी बढ़ा सकता है।
चिंतला ने कहा कि नाबार्ड ने चालू वित्त वर्ष 21-22 में झारखंड राज्य ग्रामीण बैंक एवं सूक्ष्म वित्तीय सस्ता को रुपये 1700 करोड़ का पुनर्वित्त प्रदान किया है। हालांकि, उन्होंने सहकारी समितियों के कमजोर ढांचे पर चिंता व्यक्त की, जो नाबार्ड से सस्ते पुनर्वित्त प्राप्त करने के लिए झारखंड राज्य सहकारी बैंक के लिए बाधा बन गया है। उन्होंने बैंकों को ऋण के लोकतंत्रीकरण के लिए भी सलाह दी। विभिन्न केंद्रीय/राज्य योजनाओं के तहत स्वयं सहायता समूहों/संयुक्त देयता समूहों/किसान उत्पादक संगठनों को अधिक से अधिक ऋण उपलब्ध कराने पर बल दिया।
नाबार्ड कृषक उत्पादक संगठन (एफ़पीओ) को बढ़ावा देने में अग्रणी रहा है। राज्य में 179 एफपीओ को बढ़ावा दिया है। उन्होंने इस बात पर भी प्रकाश डाला कि नाबार्ड 18,000 हेक्टेयर और 30,000 घरों को कवर करते हुए 40 जलछाजन परियोजना और 49 वाडी के अंतर्गत 32,000 हेक्टेयर में 32,000 आदिवासी परिवारों को कवर करते हुए प्राकृतिक संसाधन प्रबंधन में एक बड़ी भूमिका निभा रहा है। नाबार्ड ने वाडी परियोजना के तहत अब तक 139 करोड़ रुपये की अनुदान सहायता मंजूर की है।
अध्यक्ष ने रामगढ़ जिले के पतरातू ब्लॉक में वाडी परियोजना का भी दौरा किया, जिससे 1,000 आदिवासी परिवारों को लाभ हुआ। स्नेहलता एफपीओ का भी दौरा किया। उन्होंने नाबार्ड द्वारा योजनाओं और परियोजनाओं के क्रियान्वयन पर संतोष व्यक्त किया। झारखंड के विकास के लिए राज्य सरकार को अधिक से अधिक सहयोग देने का आश्वासन दिया।