‘बदलते परिवेश में आधुनिक कृषि और अभिनव तकनीक का हस्तांतरण जरूरी’

झारखंड
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  • तकनीकी हस्तांतरण की विस्तारीकरण विधियों पर प्रशिक्षण का समापन

रांची। बिरसा कृषि विश्ववद्यालय (रांची) और राष्ट्रीय विस्तार शिक्षा संस्थान (ईईआई), निलोखेडी (हरियाणा) के संयुक्त तत्वावधान में 3 दिवसीय प्रशिक्षण का समापन शनिवार को हुआ। कार्यक्रम में राज्य के सभी 24 जिलों में आईसीएआर के सौजन्य से कार्यरत कृषि विज्ञान केन्द्रों के 30 वैज्ञानिकों ने ऑनलाइन माध्यम से भाग लिया। प्रशिक्षण का विषय ‘कृषि तकनीकी हंस्तांतरण की विस्तारीकरण विधियां’ थी।

समापन समारोह में मुख्य अतिथि अपर निदेशक प्रसार शिक्षा डॉ एस कर्माकार ने कहा कि बदलते परिवेश में आधुनिक कृषि एवं अभिनव तकनीक का हस्तांतरण आवश्यक है। समय के मुताबिक वैज्ञानिकों को किसानों के बीच अद्यतन तकनीकी की दिशा में सदैव प्रयत्नशील रहनर और किसानों के अनुकूल संचार साधनों का बेहतर क्रियान्वयन करना होगा। फार्मर्स फ्रेंडली तकनीकी और अद्यतन तकनीकी विस्तारीकरण को बढ़ावा देना होगा। किसानों को सही लाभ मिलने पर ही केंद्र की सफलता निहित है। उन्होंने केन्द्रों को कृषि विस्तारीकरण के संचार साधनों के विधियों को सशक्त, क्रियाशील तथा प्रबंधन पर ध्यान देने पर जोर दिया।

मौके पर ईईआई, निलोखेडी के क्षेत्रीय निदेशक प्रो नसीब सिंह ने वर्तमान कृषि परिवेश में कृषि विस्तारीकरण में विभिन्न विधियों के महत्‍व पर प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि 3 दिवसीय प्रशिक्षण में विस्तार कौशल और नवाचार का प्रसार, संचार कौशल, आधुनिक विस्तार उपकरण, विस्तार दृष्टिकोण का पुनर्विन्यास, विस्तार कार्यक्रम में प्रबंधन, संचार के रंग, किसानों की आय बढ़ाने के लिए विस्तार रणनीतियां एवं सकारात्मक दृष्टिकोण और प्रदर्शन विषयों से अवगत कराया गया। संचालन डॉ बीएस घंटघस और धन्यवाद केवीके, चतरा के प्रभारी डॉ रंजय कुमार ने दिया।

मसाला फसलों पर सूचना प्रौद्योगिकी आधारित खोज विश्लेषण पर जोर

रांची। आईसीएआर-मसाला अनुसंधान केंद्र, कोझीकोड़ द्वारा डाटा डिजीटाइजेशन एंड विजुएलाइजेशन विषयक तीन दिवसीय राष्ट्रीय प्रशिक्षण का आयोजन किया गया। इसमें आईसीएआर-अखिल भारतीय समन्वित मसाला समन्वित शोध परियोजना के बीएयू प्रभारी डॉ अरुण कुमार तिवारी ने भाग लिया। इस ऑनलाइन प्रशिक्षण में देश-विदेश के 70 वैज्ञानिक शामिल हुए।

डॉ तिवारी ने बताया कि झारखंड में मसाला फसलों की खेती एवं बेहतर संभावनाओं को देखते हुए कृषि प्रणाली में ड्रोन का बेहतर उपयोग तथा फसल विस्तारीकरण में अद्यतन सूचना प्रौद्योगिकी आधारित खोज विश्लेषण के आधुनिक तरीकों के प्रयोग एवं लाभ से अवगत कराया गया। राज्य में छोटे एवं सीमांत किसान मसाला की खेती से जुड़े है। इन अभिनव तकनीकों से शोध कार्यक्रमों को बल मिलेगा। इससे मसाला फसलों सहित उद्यानिक क्षेत्र के विकास में लाभ होगा।