रांची। स्थानीय युवाओं को नियोजन देने के लिए झारखंड सरकार को तत्काल सर्वदलीय बैठक बुलाकर स्थानीयता की परिभाषा तय कर सर्वमान्य हल निकालने की ठोस पहल करनी चाहिए। इस मुद्दे पर झारखंड के मेहनतकशों के बीच विभाजन की राजनीति को हतोत्साहित किया जाना चाहिए। उक्त बातें माकपा की राज्य पोलिट ब्यूरो के सदस्य और पूर्व सांसद बृंदा कारात ने कही। वह 20 फरवरी को प्रेस से बात कर रही थी। वह पार्टी की राज्य कमेटी बैठक में हिस्सा लेने रांची आयीं हैं।
कारात ने कहा कि केंद्र सरकार देश के फेडरल ढांचे को लगातार कमजोर किए जाने की साजिश कर रही है। यह संविधान की केवल अवमानना ही नहीं है, बल्कि स्वतंत्रता आंदोलन से प्राप्त हमारे संसदीय लोकतंत्र को समाप्त करने के एजेंडे को लागू करने की कवायद है। झारखंड में राज्य विधानसभा से पारित मॉब लिंचिंग विरोधी कानून को राजभवन द्वारा लटकाए रखना, इसी कवायद की कड़ी है।
कारात ने कहा कि आज देश के लिए सबसे बड़ा खतरा कार्पोरेट और सांप्रदायिक गठजोड़ का है। यह गठजोड़ एक ओर हमारी राष्ट्रीय संप्रभुता और राष्ट्रीय संपदा की नीलामी कर रहा है। दूसरी ओर छद्म हिंदुत्व के आधार पर पूरे देश में सांप्रदायिक धुव्रीकरण की मुहिम चला रहा है। हालांकि पूरे देश में आरएसएस-भाजपा के इस विनाशकारी एजेंडे का लगातार विरोध हो रहा है। देश के किसान, मजदूर, छात्र-युवा और प्रगतिशील विचार वाले लोग सड़कों पर उतर कर शासक वर्ग के इस विनाशकारी एजेंडे के खिलाफ प्रतिरोध की मजबूत दीवार खड़ी कर रहे हैं।
देश के मजदूर वर्ग द्वारा आगामी 28 और 29 मार्च को देशव्यापी हड़ताल और संयुक्त किसान मोर्चा के आह्वान पर दो दिन का अखिल भारतीय गांव बंद इस प्रतिरोध की अगली कड़ी है।
माकपा की राज्य कमेटी बैठक में पार्टी के 23वें अखिल भारतीय सम्मेलन (पार्टी कांग्रेस) के लिए जारी राजनीतिक प्रस्ताव के मसौदे पर चर्चा की गई। यह 6 से 10 अप्रैल तक केरल में होगी। मौके पर पार्टी के राज्य सचिव प्रकाश विप्लव के अलावा सचिवमंडल सदस्य और रांची जिला सचिव सुखनाथ लोहरा भी मौजूद थे।