रूपेश पांडे हत्याकांड की जांच करने हजारीबाग पहुंचे राष्ट्रीय बाल संरक्षण आयोग के अध्यक्ष

झारखंड
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हजारीबाग। हजारीबाग के बरही थाना अंतर्गत दुलमाहा गांव में रूपेश पांडे हत्याकांड की जांच करने के लिए राष्ट्रीय बाल संरक्षण आयोग के अध्यक्ष वहां पहुंचे। पिछले छह फरवरी की संध्या नईटांड़ (करियातपुर) ग्राम निवासी सिकंदर पांडे के 17 वर्षीय पुत्र रूपेश कुमार पांडे की हत्या कर दी गई थी।

राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) ने इस पर संज्ञान लिया है। राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग के अध्यक्ष प्रियंक कानूनगो रविवार को स्व. रूपेश के पैतृक आवास बरही नईटांड़ गांव पहुंच कर रूपेश की माता उर्मिला देवी, पिता सिकंदर पांडे, चाचा अनिल पांडे, जीतेंद्र पांडे व परिजनों से मुलाकात की। इससे पहले वह डीसी आदित्य कुमार आनंद, एसपी मनोज रतन चौथे, एसडीओ पूनम कुजूर, डीएसपी नजीर अख्तर सहित इस मामले की अनुसंधान में जुटी एसआईटी टीम व अन्य जांच पदाधिकारियों से विभिन्न बिन्दुओं पर जानकारी ली।

वहीं बरही अनुमंडलीय अस्पताल के उपाधीक्षक डॉ. प्रकाश ज्ञानी सहित हजारीबाग में पोस्टमार्टम करने वाली तीन सदस्यीय चिकित्सकीय टीम में शामिल डॉ अजय भेंगरा, डॉ संजीव कुमार हेंब्रम व डॉ. महंत प्रताप से भी जानकारी हासिल की। आयोग के अध्यक्ष ने जिला बाल कल्याण पदाधिकारी व बाल कल्याण समिति से भी बातचीत की। आयोग के राष्ट्रीय अध्यक्ष प्रियंक कानूनगो ने रितेश पांडे के परिजनों से करीब 40 मिनट तक बातचीत की। रितेश पांडे के तीन दोस्तों से भी जानकारी हासिल की।

बाद में राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षक आयोग के राष्ट्रीय अध्यक्ष प्रियांक कानूनगो ने पत्रकारों को बताया कि रूपेश पांडे को न्याय दिलाने के लिए वह सच जानने के लिए आए हैं। उन्होंने कहा कि रूपेश की हत्या की घटना से संबंधित किसी भी नाबालिग गवाह को प्रताड़ित नहीं किया जाए। उन्होंने कहा कि सरकार को सारी बातों से अवगत कराएंगे। देश में बच्चों के अधिकारों को संरक्षण देने के लिए किशोर न्याय अधिनियम लागू है। आयोग यह आश्वस्त करता है कि रूपेश के परिजनों को न्याय मिलने तक किसी प्रकार के दबाव में आने की जरूरत नहीं है। उन्हें पूरी सुरक्षा और संरक्षा मिलेगी।

राष्ट्रीय बाल संरक्षण आयोग के अध्यक्ष को स्व. रूपेश पांडे के चाचा अनिल पांडे व परिजनों ने आवेदन सौंपा। उसमें कहा गया है कि रूपेश की हत्या के बाद आगजनी हुई थी। इसमें वैसे नाबालिगों के नाम केस में दे दिए गए, जो घटनास्थल पर मौजूद भी नहीं थे। उन्होंने उन बच्चों के नाम केस से वापस कराने की मांग आयोग से की है।