नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से बिटक्वाइन पर अपनी स्थिति स्पष्ट करने को कहा है. कोर्ट ने कहा कि सरकार यह स्पष्ट करे कि देश में बिटक्वाइन लीगल है या नहीं. एक मामले की सुनवाई के दौरान कोर्ट ने केंद्र सरकार को बिट क्वाइन पर अपना रुख साफ करते हुए इस बारे में कानूनी स्थिति को स्पष्ट करने को कहा है.
खास बात है कि आम बजट 2022 में भी केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने डिजिटल संपत्तियों की बिक्री पर 30 फीसदी कर लगने की बात कही थी. इसके दायरे में बिटक्वाइन जैसी क्रिप्टोकरेंसी भी आती है. वित्त मंत्रालय के बजट प्रस्ताव के अनुसार अनुसार वर्चुअल डिजिटल परिसंपत्तियों के लिए विशेष कर प्रणाली लागू की गई है. किसी भी वर्चुअल डिजिटल परिसंपत्ति के हस्तांतरण से होने वाली आय पर 30 प्रतिशत कर की दर दर होगी.
साथ ही इसमें वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा था कि ‘वर्चुअल डिजिटल परिसंपत्तियों में ट्रांजेक्शन में असाधारण बढ़ोतरी हुई है. इसको देखते हुए यह जरूरी हो गया है कि इसके नियमन और कर संबंधी प्रावधानों को लागू किया जाए. वित्त मंत्री ने यह भी कहा था कि तदनुसार, वर्चुअल डिजिटल परिसंपत्तियों के कराधान के लिए, मैं इस बात का उपबंध करने के लिए प्रस्ताव करती हूं कि किसी भी वर्चुअल डिजिटल परिसंपत्ति के हस्तांतरण से हुई किसी भी आय पर 30 प्रतिशत दर से कर लिया जाएगा.’
बजट में डिजिटल संपत्ति पर कर लगाए जाने की इस घोषणा को सरकार द्वारा परोक्ष रूप से देश में क्रिप्टोकरेंसी को कानूनी मान्यता दिए जाने के रूप में देखा जा रहा है, क्योंकि कोई भी कर कानून के दायरे में आने वाली चीजों या सेवाओं पर ही लगता है. सुप्रीम कोर्ट ने अब सरकार से इसपर कानूनी स्थिति स्पष्ट करने को कहा है.
विशेषज्ञों का मानना है कि सरकार सुप्रीम कोर्ट को जो भी जानकारी देगी, उससे यकीनन देश में क्रिप्टोकरेंसी और बिटक्वाइन को लेकर चल रहे असमंजस में स्पष्टता आएगी.