रांची। माकपा ने कहा कि स्कूलों के विकास की राशि खर्च नहीं होना राज्य सरकार की विफलता को दर्शता है। खबर है कि झारखंड शिक्षा परियोजना द्वारा विद्यालय विकास अनुदान मद में पिछले वर्ष दी गई 125 करोड़ रुपये में से मात्र 20 करोड़ रुपये का ही उपयोग हुआ है।
इस वित्तीय वर्ष में शेष राशि वापस चली जायेगी। इसके परिणामस्वरूप स्कूलों का बैंक खाता शून्य बैलेंस में आ जायगा। कई जिलों मे पांच प्रतिशत भी राशि खर्च नहीं की जा सकी। इस पैसे का आवंटन हर वर्ष सरकारी स्कूलों की मरम्मत, रंग-रोगन और अन्य जरूरी कार्यों के लिए किया जाता है।
पार्टी के राज्य सचिव प्रकाश विप्लव ने कहा कि राज्य सरकार का स्कूली शिक्षा और साक्षरता विभाग अब बहाने बनाएगा कि कोरोना महामारी के कारण स्कूल बंद थे। इसलिए आवंटित राशि खर्च नहीं की जा सकी। हालांकि यह थोथी दलील होगी, क्योंकि बच्चों के स्कूल आने पर रोक थी। विभागीय लोग और शिक्षक पर यह प्रतिबंध लागू नहीं था।
स्कूल खाली रहने के कारण राज्य के जीर्ण-शीर्ण स्कूलों की मरम्मत का काम बिना कक्षा बाधित किए हो सकता था। सरकारी स्कूलों के प्रति जहां गरीबों के बच्चे पढ़ते हैं। उसके प्रति इस प्रकार की उपेक्षा शिक्षा के मामले में राज्य सरकार की विफलता को ही दर्शाता है।