मकर संक्रांति पर क्यों खाते है खिचड़ी? जानें दान करने का भी महत्व

उत्तर प्रदेश देश
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उत्तरप्रदेश। मकर संक्रांति का त्योहार इस साल 14 जनवरी को यानी आज पूरे देश में मनाया जा रहा है। मकर संक्रांति पर खिचड़ी खाने और दान करने का विशेष महत्व माना जाता है। खिचड़ी का संबंध अलग-अलग ग्रहों से है। खिचड़ी में पड़ने वाले चावल, काली दाल, हल्दी और सब्जियों के अलावा इसे पकाने तक की प्रक्रिया किसी न किसी विशेष ग्रह को प्रभावित करती है। खिचड़ी के चावल से चंद्रमा और शुक्र की शांति का महत्व है।

काली दाल से शनि, राहू और केतु का महत्व है, हल्दी से बृहस्पति का संबंध है और हरी सब्जियों से बुध का संबंध है। वहीं जब खिचड़ी पकती है तो उसकी गर्माहट का संबंध मंगल और सूर्य देव से है। इस प्रकार लगभग सभी ग्रहों का संबंध खिचड़ी से है। बाबा गोरखनाथ ने दाल, चावल और सब्जी से बने भोजन को खिचड़ी का नाम दिया।

यही कारण है कि आज भी मकर संक्रांति के पर्व पर गोरखपुर में स्थित बाबा गोरखनाथ के मंदिर के पास खिचड़ी का मेला लगता है। मकर संक्रांति के दिन सूर्य देव के साथ अपने आराध्य देव को भी खिचड़ी का भोग अवश्य लगाना चाहिए। इससे सूर्य देव प्रसन्न होते हैं साथ ही सभी ग्रह भी शांत होते हैं। इस दिन सूर्य देव के मंत्रों का जाप करने से भी लाभ मिलता है। इस दिन से सूर्य उत्तरायण की ओर बढ़ चलते हैं। दिन बड़ा होने लगता है और रातें छोटी होने लगती हैं। सूर्य की गति में ठहराव होने लगता है। जिससे सूर्य देव में तेज और ऊष्मा आने लगता है।

सूर्य अपने पुत्र शनि की राशि मकर में प्रवेश करते हैं। इस साल 14 जनवरी और 15 जनवरी दोनों ही दिन पुण्यकाल और स्नान, दान का मुहूर्त बन रहा है। हालांकि, ज्यादा उत्तम तिथि 14 जनवरी ही होगी। बनारस के पंचांग में सायंकाल का मुहूर्त बताया गया है, लेकिन राजधानी दिल्ली के पंचांग में दोपहर का समय बताया गया है।

उत्तरायण काल में संक्रांति का शुभ मुहूर्त शुक्रवार, 14 जनवरी को दोपहर 2 बजकर 43 मिनट से लेकर शाम 5 बजकर 45 मिनट तक रहेगा।  इस दिन भगवान को तांबे के पात्र में जल, गुड़ और गुलाब की पत्तियां डालकर अर्घ्य दें। गुड़, तिल और मूंगदाल की खिचड़ी का सेवन करें और इन्हें गरीबों में बांटें। इस दिन गायत्री मंत्र का जाप करना भी बड़ा शुभ बताया गया है।