गुमला। झारखंड के गुमला स्थित जारी गांव के अलबर्ट एक्का ने 1971 के भारत-पाक युद्ध में अपना अलग ही शौर्य दिखाया था। उस युद्ध में अपनी मातृभूमि भारत मां की रक्षा में हंसते-हंसते अपने प्राण न्योछावर कर दिए थे। लेकिन दुश्मनों के नापाक कदम को उस वीर सपूत ने भारत की भूमि पर कदम रखने नहीं दिया।
यह दिन था 3 दिसंबर। यह दिन बहुत खास है, चूंकि आज ही के दिन 1971 के युद्ध में भारत ने पाकिस्तान को हरा दिया था जो कई मायनों में खास है। इसमें झारखंड के अल्बर्ट एक्का शहीद हो गए थे। इसके साथ ही 3 दिसंबर 1971 का दिन भारतीय इतिहास में अविस्मरणीय बन गया। भारत और पाकिस्तान के बीच हुए इस युद्ध में भारतीय सेना ने पाक को घुटने टेकने पर मजबूर कर दिया था। यह लड़ाई झारखंड के लिए भी कई मायनों में खास है, चूंकि इस लड़ाई में राज्य के कई वीर जवानों ने भाग लिया था।
इन्हीं में से एक थे शहीद परमवीर चक्र विजेता अलबर्ट एक्का, जो अकेले ही पाकिस्तानी सेना पर भारी पड़ गए थे। अल्बर्ट एक्का बहार-झारखंड के पहले ऐसे वीर जांबाज हैं, जिन्हें मरणोपरांत परमवीर चक्र का सम्मान मिला है। उनके बेटे विंसेट एक्का पैतृक गांव जारी में एक म्यूजियम होने की इच्छा जाहिर करते हुए कहते हैं ताकि एक जगह ही पूरी कहानी देखी जा सकेगी।
परमवीर अल्बर्ट एक्का के गांव जारी में उनका समाधिस्थल है। इस जगह ही म्यूजियम बनाने की योजना है। इस जगह उनसे संघर्ष से जुड़ी कहानियों को प्रदर्शित किया जाएगा। यहां अल्बर्ट एक्का का जन्म, उनके गांव, उनके घर की सारी कहानियां प्रदर्शित होंगी। झारखंड सरकार ने उन्हें सम्मान देते हुए राजधानी रांची स्थित मेन रोड का चौराहा अलबर्ट एक्का चौक उनके नाम समर्पित कर दिया। इस चौक पर हाथों में संगीन लिए सैनिक के वेश में उनकी विशाल आदमकद प्रतिमा लगाई गई है।