बीएयू में जुटेंगे देश भर के कृषि विवि के कुलपति, कई मुद्दों पर करेंगे मंथन

झारखंड
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  • भारतीय कृषि विश्वविद्यालय संघ का वार्षिक अधिवेशन 20 दिसंबर से, राज्‍यपाल करेंगे उद्घाटन

रांची। झारखंड की राजधानी रांची के कांके स्थित बिरसा कृषि विश्‍वविद्यालय में देशभर के कृषि विवि के कुलपति का जुटेंगे। यहां 20 और 21 दिसंबर को भारतीय कृषि विश्वविद्यालय संघ (आइएयूए) का 45वां वार्षिक अधिवेशन होगा। इसकी मेजबानी बिरसा कृषि विवि कर रहा है। इसका उद्घाटन कुलाधिपति सह राज्‍यपाल रमेश बैस 20 दिसंबर को रांची कृषि महाविद्यालय प्रेक्षागृह करेंगे। उक्‍त जानकारी बीएयू के कुलपति डॉ ओंकार नाथ सिंह ने 18 दिसंबर को प्रेस को दी।

तकनीकी सत्र सीनेट हॉल में होंगे

कुलपति ने बताया कि भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद, नई दिल्ली के उप महानिदेशक (शिक्षा) डॉ आरसी अग्रवाल उद्घाटन सत्र के विशिष्ट अतिथि होंगे। झारखंड के कृषि, पशुपालन एवं सहकारिता सचिव अबु बकर सिद्दीख पी 21 दिसंबर को समापन समारोह के विशिष्ट अतिथि होंगे। अधिवेशन में कृषि विश्वविद्यालयों के स्तर, टिकाऊपन एवं सामाजिक प्रभाव में बढ़ोतरी के तौर-तरीकों चर्चा होगी। तकनीकी सत्र 20 दिसंबर को सुबह 10 बजे से ही सीनेट हॉल में शुरू हो जायेंगे।

तीसरी बार मेजबानी कर रहा बीएयू

डॉ सिंह ने बताया कि बीएयू तीसरी बार भारतीय कृषि विश्वविद्यालय संघ के वार्षिक अधिवेशन की मेजबानी कर रहा है। इसके पूर्व वर्ष 2013 और 2007 में भी कुलपति अधिवेशन की मेजबानी कर चुका है। अधिवेशन में भागीदारी के लिए संघ के अध्यक्ष और सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, मेरठ के कुलपति डॉ आरके मित्तल, महासचिव और डॉ राजेंद्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय, समस्तीपुर, बिहार के कुलपति डॉ आरसी श्रीवास्तव सहित उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, उड़ीसा महाराष्ट्र, बिहार, नई दिल्ली, हिमाचल प्रदेश, तमिलनाडु, तेलंगाना, कर्नाटक, केरल, पश्चिम बंगाल, गुजरात कश्मीर आदि राज्यों के 30 से अधिक विश्वविद्यालयों के कुलपतियों की स्वीकृति अबतक आ चुकी है।

आयोजन के दौरान तीन तकनीकी सत्र

आयोजन के दौरान तीन तकनीकी सत्र होंगे। इसका विषय क्रमश: नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति के संदर्भ में कृषि शिक्षा और अनुसंधान में अंतर्राष्ट्रीय मानक प्राप्त करना, उपयुक्त प्रौद्योगिकी के विकास और प्रयोग द्वारा कृषि उत्पादकता एवं लाभप्रदता बढ़ाने और बनाए रखने की रणनीतियां, प्रौद्योगिकी बाजार, साख और प्रसार सेवाओं तक पहुंचने में किसानों को समर्थ बनाना है। आइएयूए की आम सभा की बैठक 20 दिसंबर को होगी।

संघ की स्‍थापना केवल 9 सदस्‍यों से हुई

कुलपति ने बताया कि आइएयूए की स्थापना 1967 में केवल 9 सदस्यों के साथ हुई थी। पिछले 54 वर्षों में इसके नियमित सदस्य विश्वविद्यालयों की संख्या बढ़कर 70 हो गई है। इनमें 44 कृषि, 6 वागवानी, 17 पशुचिकित्सा एवं पशु विज्ञान और 3 मत्स्य विज्ञान विश्वविद्यालय शामिल हैं। देश की कृषि शिक्षा पद्धति का नेटवर्क दुनिया के सबसे बड़े नेटवर्क में से एक है। इसमें 63 राज्य कृषि विश्वविद्यालय, 4 मान्य विश्वविद्यालय, 3 केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय और 4 केंद्रीय विश्वविद्यालयों का कृषि संकाय शामिल है।

विवि में सीटों की संख्‍या भी बढ़ी

डॉ सिंह ने बताया कि इन विश्वविद्यालयों में नामांकन के लिए स्‍वीकृत सीटें वर्ष 1960 में 5000 से कम थीं। यहअब बढ़कर 45,000 से भी अधिक हो गई है। लगभग 410 अंगीभूत महाविद्यालयों के साथ कृषि विश्वविद्यालयों में नामांकन की वार्षिक क्षमता तक पाठ्यक्रमों में करीब 28,000 और मास्टर एवं पीएचडी पाठ्यक्रमों में 17,500 से अधिक हो गई है। इनके अतिरिक्त 400 से अधिक सम्बद्ध निजी कॉलेज भी उच्च कृषि शिक्षा के लिए विद्यार्थियों का नामांकन ले रहे हैं। अंतरस्नातक स्तर पर 11 विषयों में डिग्री पाठ्यक्रम चलाएं जाते हैं। इनमें व्यवहारिक प्रशिक्षण और ग्रामीण कार्य अनुभव पर जोर दिया जाता है। स्नातकोत्तर पाठ्यक्रम 95 विषयों में चलाए जाते हैं।