लखनऊ। नव वर्ष, 2022 कल से शुरू हो रहा है। यह भावी सपनों को संजोए हुए अपनी तारीखों और दिनों के नवीन समन्वयों के साथ एक कैलेंडर के रूप में हमारे सम्मुख आया है। साल के शुभारंभ और समाप्ति को लेकर अजीब संयोग बन रहा है।
नव वर्ष, 2022 का कैलेंडर शनिवार से शुरू होकर शनिवार दिन ही समाप्त होगा। ऐसी तारीखों और उन पर पड़ने वाले दिनों के सयोगों से युक्त ऐसा कैलेंडर इस शताब्दी में पहली बार ही नहीं वरन तीसरी बार आया है। इससे पूर्व वर्षों 2005 और 2011 में भी इसी कैलेंडर का संयोग आया था।
आगामी वर्षो 2033, 2039, 2050, 2061, 2067, 2078, 2089 एवं 2095 में भी इसी कैलेंडर का पुन: संयोग बनेगा। इस तरह से इस सदी में इस कलेंडर का संयोग 11 बार आएगा। विगत शताब्दी में भी इस कैलेंडर का संयोग 10 बार यानी 1910, 1921, 1927, 1938, 1949, 1955, 1966, 1977, 1983 और 1994 में भी आया था।

कैलेंडर से जुड़ी हुई ऐसी रोचक जानकारी एवं तथ्यों को लखनऊ पब्लिक स्कूल, लखीमपुर खीरी के गणित शिक्षक अतुल सक्सेना ने अपनी स्वनिर्मित सैकड़ों वर्षों के लिए कैलेंडर-कोड तालिकाओं के आधार पर बताया है। उनके अनुसार कैलेंडर 14 प्रकार के होते हैं। सात सामान्य वर्षों के लिए और सात लिपि वर्षों के लिए होते हैं। एक ही शताब्दी में कैलेंडर के पुनः संयोग की स्थिति एक निर्धारित अवधि के पश्चात क्रमशः चक्रीय क्रम में 11, 11 एवं 6 वर्षों के बाद ही आती है। इस तरह किसी वर्ष के कैलेंडर का पुनः संयोग होना एक सामान्य गणितीय प्रक्रिया ही होती है।
वर्ष, 2022 का अंकीय-कोड कैलेंडर, जनवरी से दिसंबर तक 12 महीनों के लिए क्रमश: 511 462 403 513 है। किसी दिनांक में इस महीने का कोड जोड़कर सात से भाग करने पर जो शेषफल आता है, वही उसके दिन को दर्शाता है। शून्य से छह तक के आए शेषफल क्रमशः रविवार से शनिवार के दिनों को दर्शाते हैं।
उनके अनुसार 26 जनवरी, 2022 का दिन जानने के लिए 26 मे जनवरी का अंक कोड 5 जोड़ने पर आये योगफल 31 को 7 से भाग देने पर भागफल 4 और शेषफल 3 आएगा। शेषफल 3 दिन बुधवार का होना दर्शाता है। इसी तरह से 1 फरवरी 2022 के लिए, 1 मे फरवरी का माह कोड 1 जोड़ने पर आये योगफल 2 को 7 से भाग करने पर भागफल शुन्य तथा शेषफल दो आएगा। शेषफल ‘दो’ मंगलवार का दिन होने को दर्शाता है।