रांची। बिरसा कृषि विश्वविद्यालय में मल्टीपर्पस एग्रीकल्चरल रोबोटिक प्लेटफार्म की उपयोगिता का विश्लेषण होगा। विवि के एग्रोनोमी विभाग में कार्यरत ऑटोनोमस मल्टीपर्पस एग्रीकल्चरल रोबोटिक प्लेटफार्म का विकास परियोजना अधीन प्रदत्त दो वर्षो के फसल डाटा के आधार पर सेंटर फॉर डेवलपमेंट ऑफ एडवांस्ड कंप्यूटिंग (सी-डैक), कोलकाता ने मल्टीपर्पस एग्रीकल्चरल रोबोटिक प्लेटफार्म मशीन विकसित की है। इस रोबोटिक प्लेटफार्म मशीन की तकनीकी को सी-डैक, कोलकाता के तकनीकी दल ने बिरसा कृषि विश्वविद्यालय के एग्रोनोमी विभाग के रिसर्च फील्ड में दो दिनों तक प्रदर्शित किया।
मौके पर सी-डैक के संयुक्त निदेशक डॉ हेना राय और तकनीकी सहयोगी सौमिक लायक, रवि शंकर एवं रविन्द्र नाथ कंजिवल ने विभाग रिसर्च फील्ड में सेंसर एवं कंप्यूटर आधारित इस बहुउद्देशीय कृषि रोबोटिक प्लेटफार्म के सबंध में बीएयू कुलपति, निदेशक अनुसंधान एवं वैज्ञानिकों के समक्ष लाइव जानकारी साझा किया।
डॉ हेना राय ने बताया कि सी-डैक द्वारा विकसित यह मशीन खेतों में लगे फसलों की विभिन्न जरूरतों को चिन्हित करने और आवश्यकताओं की पूर्ति करने में सक्षम है। इसकी सहायता से खेतों में विद्यमान खरपतवार, खेतों के विभिन्न फसल क्षेत्र में पोषक तत्वों की कमी और रोग की पहचान की जाती है। खेतों में लगे फसल के जरूरत के अनुसार मशीन द्वारा खेतों में ही खरपतवार नाशी, रोगनाशी रसायन एवं तरल उर्वरक का छिड़काव किया जा सकता है। इस मशीन से खेतों में धान की सीधी बुआई तथा बीज अंकुरण प्रतिशत का आकलन भी किया जा सकता है।
मौके पर मौजूद कुलपति डॉ ओंकार नाथ सिंह, निदेशक अनुसंधान डॉ अब्दुल वदूद, डीन एग्रीकल्चर डॉ एसके पाल एवं मुख्य वैज्ञानिक डॉ एस कर्मकार ने सी-डैक तकनीकी दल से रोबोटिक प्लेटफार्म की विभिन्न विशेषताओं एवं कार्य प्रणाली के तकनीकी पहलुओं पर जानकारी प्राप्त की। इसकी उपयोगिता एवं तकनीकी सुधार पर चर्चा की।
कुलपति डॉ ओंकार नाथ सिंह ने इस अभिनव तकनीक को आधुनिक कृषि प्रणाली परिवेश में फसल लगे अच्छे खेतों के लिए उपयुक्त एवं उपयोगी बताया। उन्होंने इस तकनीक के निरीक्षण एवं विश्लेषण में विवि में शोधरत पीएचडी छात्रों को शामिल करने की बात कही।
निदेशक अनुसंधान डॉ अब्दुल वदूद ने इसे आधुनिक कृषि की विशेष देन बताया। इसे अधिक उपयोगी बनाने के लिए खेतों की स्थिति के आधार पर सुधार की आवश्यकता जताई। उन्होंने इस तकनीक को धान के अलावा अन्य फसलों के उपयोग के लिए अनुकूल बनाने पर बल दिया।
निदेशक प्रशासन ज्ञान सिंह गोरायबुरू ने धान फसल की खेती में इस अभिनव तकनीक को किसानों के लिए उपयोगी बताया। इसे अधिक फारमर्स फ्रेंडली बनाने की आवश्यकता जताई।
डीन एग्रीकल्चर एवं मुख्य परियोजना अन्वेंषक डॉ एसके पाल ने बताया कि इलेक्ट्रॉनिक एवं सुचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय, भारत सरकार से वित्त संपोषित ऑटोनोमस बहुउद्देशीय कृषि रोबोटिक प्लेटफार्म का विकास नामक परियोजना पर पर वर्ष 2019 से शोध कार्यक्रम चलाया जा रहा है। देश में बीएयू रांची, केसीटी कोयंबटूर, आईआईटी खड़गपुर एवं सी–डैक कोलकाता के संयुक्त तत्वावधान में इस शोध परियोजना का कार्यान्वयन किया जा रहा है। परियोजना के तहत बीएयू द्वारा दो वर्षो के फसल डाटाबेस को सी-डैक, कोलकाता को उपलब्ध कराया गया था। इस डाटाबेस के आधार पर सी-डैक ने मल्टीपर्पस एग्रीकल्चरल रोबोटिक प्लेटफार्म तकनीकी को विकसित किया है।
मुख्य वैज्ञानिक एवं सह परियोजना अन्वेंषक डॉ एस कर्मकार ने बताया कि विवि के रिसर्च फील्ड में लगे फसलों की विभिन्न अवधि एवं फसल चरणों में इस तकनीक की कार्य क्षमता एवं उपयोगिता का निरीक्षण एवं विश्लेषण किया जायेगा। दिसंबर में बीएयू के रिसर्च फील्ड में सी-डैक, केसीटी एवं आईआईटी के वरीय पदाधिकारियों द्वारा इस तकनीक का आकलन एवं समीक्षा की जाएगी।
मौके पर डॉ नर्गिस कुमारी, डॉ श्वाती शबनम, अरविन्द रौशन खलको, डॉ अमरजीत कुजूर, राकेश कुमार सिन्हा, दिनेश टोप्पो एवं राकेश मित्रा आदि भी मौजूद थे।