- जनजातीय गौरव दिवस के उपलक्ष्य पर वेबिनार का आयोजन
रांची। आजादी का अमृत महोत्सव के तहत धरती आबा भगवान बिरसा मुंडा की जयंती –‘जनजातीय गौरव दिवस’ के उपलक्ष्य में मंगलवार को वेबिनार का आयोजन किया गया। भारत सरकार के सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के पत्र सूचना कार्यालय, रांची, प्रादेशिक लोक संपर्क ब्यूरो रांची और क्षेत्रीय लोक संपर्क ब्यूरो, गुमला के संयुक्त तत्वावधान में कार्यक्रम हुआ।
वेबिनार की अध्यक्षता करते हुए पत्र सूचना कार्यालय रांची एवं प्रादेशिक लोक संपर्क ब्यूरो रांची के अपर महानिदेशक अरिमर्दन सिंह ने कहा कि देश की आजादी में अहम योगदान और अपने प्राणों की आहुति देकर धरती आबा भगवान बिरसा मुंडा ने खूंटी की माटी को अमर कर दिया। पूरे देश में एक महान क्रांतिकारी के रूप में जाने गए। उनके जन्मदिन को जनजातीय गौरव दिवस के रूप में मनाने का निर्णय भारत सरकार ने लिया है। इसी क्रम में कल उनके पैतृक आवास उलीहातू, खूंटी में केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा एवं जी किशन रेड्डी ने उनके वंशजों से मुलाकात की। उनकी प्रतिमा पर वहां माल्यार्पण भी किया। उनके जन्म स्थल पर पूजा अर्चना की।
उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत सरकार ने भारतीय इतिहास और संस्कृति में जनजातियों के विशेष स्थान और योगदान को सम्मानित करने व पीढ़ियों को इस सांस्कृतिक विरासत और राष्ट्रीय गौरव के संरक्षण के लिए प्रेरित करने के उद्देश्य से भगवान बिरसा मुंडा की जयंती 15 नवंबर को “जनजातीय गौरव दिवस” घोषित करने का निर्णय लिया है। इसके अंतर्गत आदिवासी स्वतंत्रता सेनानियों को सम्मान देने के लिए 15 से 22 नवंबर तक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाएगा। इसी क्रम में पीआईबी आरओबी रांची, एफओबी गुमला द्वारा इस वेबिनार का आयोजन किया जा रहा है।
मुख्य अतिथि राज्यसभा सांसद समीर उरांव ने धरती आबा भगवान बिरसा मुंडा के शौर्य और बलिदान पर बात की। उन्होंने कहा कि आजादी के 75 वर्ष के उपलक्ष्य में चल रहे अमृत महोत्सव के अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा जनजातीय गौरव दिवस की घोषणा करना अत्यंत ही सुखद समाचार है। इससे हम देश के जनजातीय वीरों और वीरांगनाओं की महती भूमिका को याद कर सकेंगे जिन्होंने देश की आजादी के लिए अदम्य साहस दिखाया और देश के लिए अपने प्राणों की आहुति दी। हमने देखा कि कल कैसे देशभर के जनजातीय समुदायों ने पूरे जोश और उत्साह के साथ जनजातीय गौरव दिवस मनाया।
उन्होंने कहा कि अगर हम बिरसा मुंडा की बात करें तो उनका परिवार गरीबी के कारण उनके बचपन में ही ईसाई धर्म अपना चुका था। इसके बाद वह पढ़ने के लिए लूथरन स्कूल में भी गए जहां उन्हें पाश्चात्य शिक्षा दी गई लेकिन वह उन्हें रास नहीं आया। वे कहते थे ‘टोपी टोपी एक टोपी’ यानी सब मिले हुए हैं। उनके पास जब कोई बीमार आदिवासी पहुंचता था तो वह उसके लिए महादेव भगवान से प्रार्थना भी करते थे जिससे कई की बीमारियां दूर हो जाती थी इसके बाद से आसपास के लोग उन्हें भगवान कहने लगे।
अगर हम देखें तो 1857 की क्रांति से पहले झारखंड के तिलका मांझी ने पहाड़िया जनजातियों के साथ मिलकर संथाल के जंगलों में अंग्रेजों से लड़ाई लड़ी थी। इसी प्रकार 1912 में जतरा टाना भगत ने भी अंग्रेजों के खिलाफ लड़ाई लड़ी और सिद्धू-कान्हू ने 1855 में अंग्रेजों से संघर्ष किया। वीर बुधु भगत ने अंग्रेजों से लड़ाई लड़ी और वह कहते थे कि मुझे कोई जिंदा नहीं पकड़ सकता। जब वह चारों तरफ से घिर गए तब उन्होंने अपने हाथ से ही अपना सर काट लिया था और जहां पर वह शहीद हुए उस जगह को टोपा ताड़ कहते हैं जहां पर आज एक बहुत ही प्रसिद्ध मेला लगता है। झारखंड में हुए इन विभिन्न स्वतंत्रता के संघर्षों को इतिहास की किताब में विद्रोह लिखा गया है। मेरा मानना है कि यह ठीक नहीं है बल्कि यह आजादी के लिए संघर्ष ही था।
विशिष्ट अतिथि राजनेता व प्रसिद्ध लेखक तुहिन ए. सिन्हा ने भगवान बिरसा मुंडा की जीवनी पर वक्तव्य दिया। साथ ही उन्होंने अपनी आगामी पुस्तक “द लेजेंड ऑफ बिरसा मुंडा” पर भी चर्चा की और उसका वीडियो भी दर्शकों को दिखाया गया। वेबिनार की परिचर्चा में विषय प्रवेश कराते हुए क्षेत्रीय प्रचार अधिकारी श्रीमती महविश रहमान ने कराया। वेबिनार के सभी प्रतिभागियों द्वारा फीडबैक फॉर्म भराए गए। सभी को ई-सर्टिफिकेट दिया गया। इसका लाइव प्रसारण यूट्यूब पर भी किया गया। वेबिनार का समन्वय एवं संचालन फील्ड पब्लिसिटी ऑफिसर श्रीमती महविश रहमान द्वारा किया गया। फील्ड पब्लिसिटी ऑफिसर शाहिद रहमान और ओंकार नाथ पाण्डेय ने सहयोग किया।