संवाद में आदिवासी समुदायों के सामने आने वाली चुनौतियों पर मंथन

झारखंड
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जमशेदपुर। संवाद के आठवें संस्करण के दूसरे दिन 16 नवंबर को आदिवासी समुदायों के सामने आने वाली कुछ चुनौतियों पर विशेषज्ञों ने गंभीर विचार-विमर्श किया गया। आदिवासी समुदायों के विशेषज्ञ इस वर्ष ‘संवाद’ के विषय इर्द-गिर्द विभिन्न पहलुओं पर चर्चा करने के लिए एक साथ जुटे। आज आदिवासी रसोई से कुछ शानदार व्यंजनों के साथ-साथ बेहतर जन-स्वास्थ्य सुनिश्चित करने के लिए उपचार पद्धतियों पर बातचीत हुई।

प्रख्यात वक्ताओं और विशेषज्ञों द्वारा आदिवासी समुदायों से संबंधित विषयों पर व्याख्यान दिया गया। इस वर्ष के ‘संवाद’ के केंद्रीय विषय के अनुरूप परिचर्चाएं मुख्यतः ’वाय रीइमेजिन?’ (पुनर्कल्पणा क्यों) पर केंद्रित थी। प्रख्यात वक्ताओं ने विषय के आसपास केंद्रित कई पहलुओं पर चर्चा की। महाराष्ट्र से दीपा पवार, पश्चिम बंगाल से नरेन हंसदा और ओडिशा से जयंती बुरुदा ने अपनी कहानियां साझा की।

आदिवासी उपचार प्रणालियों का सत्र ‘आदिवासी उपचार और जन स्वास्थ्य के क्षेत्र’ विषय पर आधारित था। अगले कुछ दिनों की परिचर्चाओं में राष्ट्रीय संगठन के उद्देश्यों, बाय-लॉज और गतिविधियों पर मंथन किया जायेगा। साथ ही, ‘नेशनल ट्राइबल हीलर कलेक्टिव’ द्वारा आगे की जाने वाली गतिविधियों के साथ-साथ वार्षिक योजना को फिर से निर्धारित किया जायेगा। 

कोविड-19 से संबंधित प्रतिबंधों को ध्यान में रखते हुए इस वर्ष 13 राज्यों और एक केंद्र शासित प्रदेश से 219 से अधिक देसी वैद्य ‘संवाद-2021 में ऑनलाइन हिस्सा ले रहे हैं। इनके अलावा, देश भर से 26 वैद्य क्षेत्रीय स्तर के अपने समूहों के साथ जमशेदपुर में मौजूद हैं।

आदिवासियों की पाक-कला विरासत के सांस्कृतिक, पोषण और व्यावसायिक महत्व को एक साथ लाने के लिए परिकल्पित कार्यक्रम ‘आतिथ्य’ को इंडियन होटल्स कंपनी लिमिटेड (आईएचसीएल) की साझेदारी में क्रियान्वित किया गया है। हर साल की तरह यह देश भर के दुर्लभ आदिवासी व्यंजनों का स्वाद चखने का मौका है। आज, लेट जिल पिठा या डंबू पिठा जैसे आदिवासी व्यंजन थाली कई मेहमानों के साथ-साथ खाने के शौकीनों को काफी पसंद आया, जिन्होंने इसे जोमैटो के माध्यम से ऑर्डर किया था। लोग अगले तीन दिनों के लिए जोमैटो में ‘आतिथ्य/संवाद’ के बैनर तले पेश किए जाने वाले आदिवासी व्यंजनों की विस्तृत विविधता को ब्राउज कर सकते हैं। ऑर्डर दे सकते हैं।

टाटा स्टील फाउंडेशन द्वारा आयोजित किया जाने वाला अपने प्रकार का अनूठा अखिल भारतीय जनजातीय सम्मेलन ‘संवाद’ 15 नवंबर को आदिवासियों के महानायक बिरसा मुंडा की जयंती पर डिजिटल और लाइव प्लेटफॉर्म में शुरू हुआ था।

संवाद-2021 में भारत के 25 राज्यों और पांच केंद्र शासित प्रदेशों से 87 समुदायों के 4,000 से अधिक महिला, पुरुष और बच्चे ब्रिजिटल फॉर्मेट में संवाद के लिए लॉगइन करेंगे। पूरे देश से 187 प्रख्यात आदिवासी कलाकार, देसी खानसामे, वैद्य, सांस्कृतिक पुरोधा और नेतृत्वकर्ता व्यक्तिगत रूप से इस मंच पर मौजूद रहेंगे।

इस वर्ष संवाद का थीम ‘रिइमेजिन’ है, जो इस बात पर गहन, धैर्ययुक्त और प्रतिनिधिक अन्वेषण करेगा कि जनजातीय समुदाय के लिए इस ‘रिइमेजिनेशन’ यानी पुनर्कल्पणा का क्या अर्थ है।

12 राज्यों से 17 आदिवासी समुदायों से सूचीबद्ध किये गये 17 आवेदकों में से संवाद के 10 फेलो का चयन करने के लिए क्यूरेटेड वर्कशॉप का आयोजन होगा। एक प्रतिष्ठित जूरी पैनल के नेतृत्व में वे अंतिम चयन प्रक्रिया में हिस्सा लेंगे। अंतिम चयनित ‘संवाद फेलो’ के नाम 19 नवंबर को घोषित किये जायेंगे।

सात राज्यों के 8 आदिवासी समुदायों से 25 कलाकार अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन कर रहे हैं। 12 कला-रूपों का प्रतिनिधित्व करते हुए ये आर्ट रेसीडेंसी में एक साथ जुट रहे हैं, जहां वे 8 भव्य कैनवासों पर संवाद को परिभाषित करेंगे। इसके अलावा, 11 राज्यों से 21 आदिवासी समुदायों के 180 वैद्य ‘नेशनल ट्राइबल हीलर्स एसोसिएशन’ के गठन और स्वास्थ्य प्रणालियों को फिर से रेखांकित करने के लिए एक संशोधित आदेश पर विमर्श कर रहे हैं।