लातेहार (झारखंड)। पेयजल एवं स्वच्छता विभाग के अधिकारियों ने लापरवाही की हद कर दी। बोरिंग से ठीक से पानी नहीं निकलने के बाद भी सोलर जलमीनार फाईनल कर दिया। उसे बना भी दिया गया। इसके कारण जलमीनार होने के बाद भी टोले के लोग चुआंड़ी का दूषित पानी पीने को मजबूर हैं। यह मामला लातेहार जिले के चंदवा प्रखंड की कामता पंचायत के चटुआग गांव की परहैया टोला की है।
यहां की गई बोरिंग से पानी ठीक से नहीं निकला। इसके बाद भी विभाग ने ग्रामीण लघु जलापूर्ति योजना के तहत सोलर जलमीनार फाईनल कर दिया। इसके कारण बनाया गया जलमीनार बेकार साबित हो रहा है। माकपा के वरिष्ठ नेता सह सामाजिक कार्यकर्ता अयुब खान भ्रमण के क्रम में वहां पहुंचे। ग्रामीणों ने इसकी जानकारी उन्हें दी। उन्होंने इसे विभाग के अधिकारियों की लापरवाही करार दिया। राज्य सरकार से उनपर कार्रवाई करने और लोगों को शुद्ध पानी मुहैया कराने की मांग की।
ग्रामीणों को शुद्ध पेयजल उपलब्ध कराने की उद्देश्य से ग्रामीण लघु जलापूर्ति योजना लाई थी। विभाग के कर्मियों की लापरवाही के कारण यह निरर्थक साबित हो रही है। टोला के लोगों ने बताया कि यहां लगाए गए जलमीनार में सप्ताह में मात्र आधा ड्राम पानी जमा होता है, जो आधे घंटे चलने के बाद खत्म हो जाता है। टोले में पानी समस्या दूर करने और शुद्ध पेयजल सभी घरों तक पहुंचाने के लिए इस सोलर जलमीनार का निर्माण किया गया था। हालांकि यह हाथी का दांत साबित हो रहा है।
स्थानीय लोगों के मुताबिक आधा अधूरा बोरिंग किए जाने के कारण पानी काफी कम मात्रा में निकलता है। इससे चार पांच घरों में प्रत्येक दिन सही से आपूर्ति भी नहीं की जा सकती है। जलापूर्ति योजना का निर्माण होने से लगा था कि अब पानी की समस्या से निजात मिलेगी। हालांकि विभाग की लापरवाही के कारण इसका लाभ नहीं मिल रहा है। स्थिति यह है कि अब भी लोग चुआंड़ी की दूषित पानी पीकर अपनी प्यास बुझाने को विवश हैं।