इस शिक्षक के जज्‍बे को जानकर सलाम किये बिना नहीं रह सकेंगे आप

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छत्तीसगढ़। शिक्षक देश के भविष्‍य के भाग्‍यविधाता है। वे बच्‍चों को गढ़ने  कोरोना काल में बच्‍चों की पढ़ाने जारी रखने के लिए नई-नई तकनीक इजाद कर रहे हैं। यह कड़वी सच्‍चाई है कि सरकारी शिक्षकों से शिक्षण के अलावा कई गैर शिक्षण कार्य भी कराये जाते हैं। इस क्रम में वे कई तरह की परेशानी भी झेलते हैं। इसके बाद भी उसे अपने अंजाम तक पहुंचाते हैं। ऐसे ही एक शिक्षक हैं, इनके जज्‍बे को जानकर आप उन्‍हें सलाम किये बिना नहीं रह सकेंगे।

झारखंड के पड़ोसी राज्‍य छत्तीसगढ़ के बलरामपुर की खड़िया दामर ग्राम पंचायत में शिक्षक 8 किलोमीटर के ऊबड़-खाबड़ रास्तों से होते हुए मिड-डे मील का राशन अपने कंधे पर रखकर स्कूल तक लाते हैं। इस दौरान वे नदी, जंगल तक पार करते हैं। बच्‍चों तक राशन पहुंचाते हैं। इस बारे में वहां के एक ग्रामीण ने कहा कि मैं ऐसे शिक्षक को दिल से सलाम करता हूं। प्रशासन से सड़क की मांग करता हूं।

इस बारे में जिला शिक्षा अधिकारी बी एक्‍का ने कहा कि यह मेरे संज्ञान में है। हमारे दो शिक्षक पंकज और सुशील वहां कार्यरत हैं। वह अपने कंधे पर चावल उठाकर जंगल, नदी पार करते हुए विद्यालय पहुंचाते हैं। मध्याह्न भोजन भी संचालित करते हैं। मैं ऐसे दोनों शिक्षकों को सलाम करता हूं।