हाल बेरमो कोयलांचल का : तीस लाख की संपत्ति खड़ी है घर पर, हैं बेरोजगार

झारखंड
Spread the love

प्रशांत अंबष्‍ठ

गोमिया (बोकारो)। तीस-तीस लाख की संपत्त‍ि घर में खड़ी है। इसके बाद भी सभी बेरोजगार हैं। यह हाल, सीसीएल बेरमो कोयलांचल का है। कभी यहां ट्रक और ट्रक मालिकों सहित कोयलाधारकों का मजमा लगता था। आज वीरानी छाई है। खासमहाल, कारो, जारंगडीह, अमलो, स्वांग/गोविंदपुर का काटा घर और लोडिंग प्वाइंट सन्‍नाटा पसरा है।

कमाई हो गई है बंद

कोरोना काल से लेकर अब तक ट्रांसपोर्ट व्‍यवसाय और कोयला व्‍यवसाय पर मंदी का कहर बरपा है। इसके कारण 30-30 लाख की संपत्ति के मालिक होते हुए भी सभी बेरोजगार हो गए हैं। कमाई बंद है। बैंकों का ईएमआई, रोड टैक्स, फिटनेस, इंश्‍यारेंस चालू है। इससे लोगों की जमा पूंजी खत्म हो गयी है। बैक की देनदारी चालू है। अब वे कर्ज में डूबते गए। जो लोग बैक का किस्त देने में असमर्थ हुए, उनकी गाड़िया बैंक खींचकर ले गए। गाड़ी मालिक बेरोजगार हो गए। उनकी अपनी आर्थिक स्थिति काफी खराब हो गई। उनके घरों में चूल्हे जलने पर भी आफत है। लोगों को पलायन के लिए बाध्य होना पड़ रहा है। स्थिति‍ इतनी भयवाह हो गई है कि‍ ट्रक मालिकों को अपने बच्चों का अच्छे स्कूलों से नाम कटवाकर कहीं और शिक्षा दिलाने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है।

कोलियारियों में 5 हजार ट्रक

बता दें कि बेरमो अनुमंडल की विभिन्न कोलियारियों में 4 से 5 हजार ट्रक उपलब्ध हैं। पिछले 2 साल से सीसीएल प्रबंधन द्वारा कोयले के ऑफर में कटौती किए जाने और बाजार में मंदी आने के बाद लगभग 10,000 लोग बेरोजगार हो गए हैं। लगभग 5 हजार गाड़ियों के तीन से चार हजार ट्रक मालिक, ड्राइवर और खलासी, हजारों लदनी मजदूर, छोटे पूंजी वाले कोयला खरीदार, लिफ्टर सहित अन्‍य इससे प्रभावित हैं।

कर्ज की वजह से मौत

स्वांग के ट्रक मालिक रहे सोनू सिंह गाड़ी नहीं चलने की वजह से कर्ज में डूब गए। आर्थिक तंगी और लेनदार के दबाव में बीमार पड़ गये। अंत में इलाज के दौरान उनकी मृत्यु हो गई। गाड़ी मालिक उमेश निषाद की मृत्यु भी कारण ट्रक के कारण हुए कर्ज की वजह से हो गई।

सीसीएल प्रबंधन जिम्‍मेवार

ट्रक ऑनर उमा सिंह, अभय सिन्हा, सुमनजय सिंह, मृत्युंजय सिंह, मुकेश यादव, अनिल सिंह, नितेश श्रीवास्तव, मोहम्मद जाहिद, विनय मिश्रा, मो अल्ताफ, आनंद निषाद ने कहा कि‍ एक तो लॉकडाउन की मार, फिर आर्थिक मंदी। इसके बाद सीसीएल प्रबंधन द्वारा ऑफर नहीं दिये जाने से हमलोग की स्थिति बद से बदतर हो गई है। दुर्भाग्य है कि ट्रक मालिक होने की वजह से हम लोगों को कोई सरकारी लाभ भी नहीं मिल पा रहा है। उन्होंने कहा कि हम गाड़ी मालिकों के साथ ‘ना घर के रहे ना घाट के’ वाली कहावत चरितार्थ हो रही है।

मददगार हो गए हैं मोहताज

जानकारी के मुताबिक कारो में लगभग 800, खासमहल में लगभग 900, जारंगडीह में लगभग 700, गोविंदपुर में लगभग 300, स्वांग में लगभग 250 ट्रक संचालित थे। इसके जरिए हजारों लोग रोजगार से जुड़े थे। इस व्यवसाय से विस्थापित, बेरोजगार, दिव्यांग सहित आसपास के क्षेत्रों के कई लोगों को भी लाभ मिल रहा था। हालांकि पिछले 2 वर्ष से इससे सभी लोग वंचित हैं। स्थिति यह हो गई है कि जो मददगार थे, आज वही मोहताज हो गए हैं। यह बताना जरूरी है कि बेरमो कोयलांचल में लगभग कोलियरियो में स्थानीय कमेटी का दबदबा चलता है। इसकी वजह से अक्सर विवाद भी उत्पन्न होता रहता है, जो प्रबंधन को नागवार गुजरता है।

बैंक ने गाड़ी उठा ली

बैक द्वारा जाहिद की एक, गोविंद की दो, सोनू खान की एक, कोपेश्वर यादव की एक, आलम की एक, अभय सिन्हा की एक, बिनोद राम की एक,  पिंटू सिंह की एक, फारुख रजा की एक, स्व प्रमोद सिंह की दो, नरेन्द्र पाठक की एक, उमेश निषाद की एक, विनय मिश्रा की एक गाड़ी उठा ली गई है। इसके अलावा लगभग एक दर्जन से अधिक गाड़ियां मजबूरी गाड़ी के मालिकों को बेचनी पड़ी।

सूदखोर का बोलबाला

ट्रक संचालकों का कहना है कि एक महीने और कोयले का ऑफर प्रबंधन द्वारा नहीं बढ़ाया गया तो लगभग एक सौ गाड़ियां प्रति कोलियरी से या बैंक के चली जाएगी या फिर मजबूरन मालिकों को बेचनी पड़ेगी। बताया जाता है कि वर्तमान में मालिकों ने ट्रक को बैंक से फ्री करा लिया है, लेकिन व्यवस्था और मंदी की मार से इंश्‍योरेंस, फिटनेस, रोड टैक्स फेल हो गया है। ट्रक वालों की आर्थिक स्थिति खराब होने से सूदखोरों की चांदी हो गई है। गाड़ी बचाने और बैंक को ईएमआई देने के लिए इन सूदखोरों से 10% ब्‍याज के हिसाब से पैसा लेते हैं। ब्याज का पैसा समय पर नहीं चुका पाने पर सूदखोरों द्वारा ट्रक मालिकों को प्रताड़ित किया जाता है।