चंदवा (लातेहार)। झारखंड सरकार आदिम जनजाति परिवार के कल्याण के लिए कई योजनाएं चला रही है। हालांकि इस समुदाय के इन परिवारों का भगवान ही मालिक है। हालात यह है कि प्यास बुझाने के लिए इन परिवारों को शुद्ध पानी भी उपलब्ध नहीं है। सामाजिक कार्यकर्ता अयुब खान ने इन परिवारों से मुलाकात की। इनके घरों में नल से पानी की आपूर्ति कराने की मांग की।
लातेहार जिले के चंदवा प्रखंड की कामता पंचायत के चटुआग गांव के परहैया टोला में विलुप्त हो रहे आधे दर्जन आदिम जनजाति परिवार रहते हैं। सभी पानी की समस्या से जूझ रहे हैं। करीब 35 सदस्य ढ़ोढ़ा के समीप बनी चुआंड़ी का दूषित पानी का सेवन कर रहे हैं। देश को आजाद हुए इतने वर्षों बीत जाने के बाद भी दूषित और संक्रमित पेयजल की समस्या इस टोले में आज भी बनी हुई है।
सामाजिक कार्यकर्ता कहते हैं कि आदिम जनजाति टोले में बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध कराने के लिए सरकार और जिला प्रशासन हर संभव प्रयास कर रही है। हालांकि यहां के लोग स्वच्छ पानी के लिए आज भी तरस रहे हैं। अफसरों की मनमानी और लापरवाही के कारण ग्रामीण लघु जलापूर्ति योजना से भी यहां के लोगों को कोई फायदा नहीं हो रहा है।
आदिम जाति के सुनीता परहिन, दसवा परहैया, राजकुमार गंझु, परमेश्वर गंझु, सकिंदर गंझु, हरवा गंझु, बिफई परहैया व अन्य ने बताया कि हम लोग दशकों से गंदा पानी पीकर गुजारा कर रहे हैं। चुआंडी में कीड़े भी रहते हैं। मजबूरन इसी पानी को पीना और इसी से खाना पकाना पड़ रहा है। वर्षा होने के बाद चुआंड़ी पानी में पूरी तरह डूब जाती है। इससे संकट और भी बढ़ जाता है।
अयुब खान कहते हैं कि इन परिवारों को हो रही पानी समस्या की जानकारी सभी को है। हालांकि स्वच्छ पानी उपलब्ध कराने की ओर किसी का ध्यान नहीं है। उन्होंने विलुप्त हो रहे इन परिवारों के घरों में नल से पानी की आपूर्ति कराने की मांग की है।