हिंदू धर्म में रावण को बुराई का प्रतीक माना जाता है और उसे प्रतिवर्ष दशहरे में अच्छाई के प्रतीक राम के हाथों जलाया जाता है।
लेकिन आपको जानकर हैरानी होगी कि भारत में एक ऐसा गांव है जहां के लोग दशहरा तो मनाते हैं लेकिन रावण के पुतले को नहीं जलाते, राम की पूजा करते है तो साथ में रावण की भी पूजा की जाती हैं। बुराई में भी रावण की अच्छाई को देखकर ग्रामीण उसकी पूजा करतें हैं। उत्तर प्रदेश के जिला गौतमबुद्ध नगर में एक गांव है बिसरख जहां रावण का मंदिर, यहां के लोग रावण को अपना वंशज मानते हैं और प्रभु श्री राम के साथ उसकी पूजा भी करते हैं। नोएडा से लगभग 20-25 किलोमीटर दूर स्थित बिसरख गांव की आबादी लगभग 3000 के आसपास है।
गांव में प्रवेश करते ही यहां पर स्थित है एक भव्य मंदिर जिसमें राम और रावण की पूजा एक साथ होती है। गांव के लोग राम को भी मानते हैं और रावण को भी। यहां के लोगों का मानना है कि रावण का जन्म यहीं हुआ था। उसके बाद वो लंका चले गए थे, या यू कहें बिसरख गांव रावण की जन्मस्थली है।