किचन गार्डन के जरिये सस्टेनबल जीवन को बढ़ावा दे रहा है टीएसएफ

झारखंड
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जमशेदपुर। हाल ही में संपन्न हुए राष्ट्रीय पोषण सप्ताह ने पोषण व स्वस्थ खाने की आदतों के बारे में जन जागरुकता बढ़ाने पर जोर दिया। इस दिशा में टाटा स्टील फाउंडेशन (टीएसएफ) ने झारखंड और ओडिशा के अपने परिचालन स्थानों में उचित पोषण के बारे में जागरुकता फैलाने के लिए कई पहल की है। स्वस्थ जीवन को बढ़ावा देने की अपनी पहल के तहत टाटा स्टील फाउंडेशन समुदायों को अपने घरों में पोषण उद्यान (न्यूट्रीशन गार्डेन) विकसित करने के अभ्यास को अपनाने के लिए प्रोत्साहित कर रहा है।

घरों के आगे या पीछे आंगन समेत कहीं भी जमीन के एक छोटे-से टुकड़े पर सब्जियों के पोषण उद्यान स्थापित किए जा सकते हैं। किसी रासायनिक उर्वरक/कीटनाशक के उपयोग के बिना अपने आंगन में सब्जियां उगाने, घरेलू अपशिष्ट जल का उपयोग करने का यह अभ्यास आवश्यक पोषक तत्वों से संपुष्ट पर्याप्त स्वस्थ आहार तक समुदाय की पहुंच को सुनिश्चित करता है। टीएसएफ पोषण के बारे में जागरुकता पैदा करने और फसलों की खेती, इसकी देखभाल और इसके रखरखाव पर प्रशिक्षण प्रदान करने के लिए नियमित रूप से घरों का दौरा कर समुदाय के साथ निरंतर बातचीत करता है। 

पोषण उद्यानों को बढ़ावा देने के लिए पिछले साल कुल 6,191 परिवारों को सहायता दी गई और इस प्रकार हमारे परिचालन क्षेत्रों में नौ स्थानों पर 30,955 लोगों तक पहुंचा गया है। 

ऐसा देखा गया कि समुदायों में पोषण उद्यान की खेती में सक्रिय भागीदारी के माध्यम से महिलाओं ने ही अगुआई की है। झारखंड के धनबाद के भेलाटांड इलाके में रहने वाली 21 वर्षीय सुमन मरांडी पिछले छह महीनों से अपने पोषण उद्यान में बड़ी मात्रा में सब्जियां उगा रही थीं और यह लॉकडाउन अवधि के दौरान उनके पांच सदस्यीय परिवार के लिए एक वरदान साबित हुआ। सुमन कहती हैं, ‘मुझे सब्जी खरीदने के लिए बाज़ार जाने की चिंता करने की ज़रूरत नहीं है, क्योंकि मेरे बगीचे से उपज मेरे परिवार का भरण-पोषण करने के लिए पर्याप्त है।‘

महामारी और राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन के दौरान, पोषण उद्यानों ने उन समुदायों के लिए पूरे वर्ष उचित पोषण सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, जहां-जहां इसे बढ़ावा दिया गया था। इन पोषण उद्यानों ने सब्जियों की निरंतर आपूर्ति के माध्यम से घर-परिवार के लिए आवश्यक सूक्ष्म पोषक तत्वों की मात्रा को बढ़ाया, जो परिवार की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए पर्याप्त थीं, जिससे परिवारों को संतुलित पोषण मिलता था। इसने लॉकडाउन के दौरान सब्जियों की पहुंच की समस्या को भी हल किया और इस प्रकार भोजन पर परिवार के खर्च को भी कम किया।

ओडिशा में सुकिंदा के काकुड़िया गांव की रश्मिता प्रधान बताती हैं कि उनके घर में किचन गार्डन ने जरूरत के समय उन्हें पैसे बचाने में मदद की है। रश्मिता के अनुसार, ‘हम बाजार से सब्जियां खरीदने में बहुत पैसा खर्च करते थे, लेकिन जब से मैंने उन्हें अपने घर के पिछवाड़े में उगाना शुरू किया है, तब से पैसों की बचत होने लगी है। मैं सशक्त व राहत महसूस करती हूं, क्योंकि अब मैं अपने बच्चों को ट्यूशन क्लास के लिए हर महीने पर्याप्त बचत करने में सक्षम हो गयी हूं।‘