झारखंड को एजुकेशन हब बनाने में शिक्षकों की भूमिका महत्‍वपूर्ण : राज्‍यपाल

झारखंड शिक्षा
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  • शिक्षक दिवस पर आयोजित कार्यक्रम में हुए शामिल

रांची। राज्‍यपाल रमेश बैस ने कहा कि शिक्षक संसार के रचनाकार हैं। उनपर ही समाज को दिशा प्रदान करने का अहम दायित्व है। युवाओं को गढ़ने में शिक्षकों की अहम भूमिका होती है। ठीक ही कहा गया है कि कोई भी देश सोने, चांदी अथवा वहां पाये जाने वाले बहुमूल्य संपदा के आधार से महान नहीं बनता, बल्कि जिस देश के बच्चे महान होंगे, वही देश महान होगा। उन्‍होंने कहा कि यह राज्य एक एजुकेशन हब बने। इस कार्य में शिक्षकों की महत्वपूर्ण भूमिका है। वे 05 सितंबर, 2021 को शिक्षक दिवस पर रांची विश्वविद्यालय के तत्‍वावधान में आर्यभट्ट सभागार में आयोजित कार्यक्रम में बोल रहे थे।

राज्‍यपाल ने कहा कि आज भारत के द्वितीय राष्ट्रपति भारतरत्न डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन की जयंती है। उनकी जयंती को हम शिक्षक दिवस के रूप में मनाते हैं। डॉ राधाकृष्णन के व्यक्तित्व में जहां एक ओर धार्मिकता थी, वहीं दूसरी ओर शास्त्रों के स्वाध्याय में गहरी रूचि थी। उनका मत था कि उचित शिक्षा से ही समाज में मौजूद, समस्याओं का समाधान हो सकता है, जिसके लिए अपनी शिक्षा की गुणवत्ता पर विशेष ध्यान देने की जरूरत है।

बैस ने कहा कि शिक्षक का काम ज्ञान को प्राप्त करना और उसे बांटना है। शिक्षा का लक्ष्य ना सिर्फ ज्ञान के प्रति समर्पण की भावना होना चाहिये, बल्कि निरंतर सीखते रहने की प्रवृत्ति भी होनी चाहिये। शिक्षक का जीवन समाज के समक्ष आदर्श रूप में होना चाहिये, जिससे वह अपने चरित्र से विद्यार्थियों को प्रेरणा दे सके।

राज्‍यपाल ने कहा कि महान दार्शनिक अरस्तू ने कहा है कि जन्म देने वालों से अच्छी शिक्षा देने वालों को अधिक सम्मान दिया जाना चाहिए, क्योंकि जन्म देने वाले ने तो बस जन्म दिया है, पर शिक्षकों ने जीना सिखाया है। शिक्षक समाज और राष्ट्रनिर्माण के महान सारथि हैं। समाज में आपका स्थान बहुत ऊंचा है। शिक्षा को महादान के रूप में स्वीकार किया गया है। शिक्षा मनुष्य के व्यक्तित्व के विकास के लिए परमावश्यक है। आपके असली सम्मान ये गौरवमयी विद्यार्थी ही हैं।

कुलाधिपति ने कहा कि शिक्षक का असली सम्मान तब होता है, जब कोई विद्यार्थी यह कहता है कि उसकी सफलता के पीछे उसके शिक्षक का विशेष हाथ है। उनका मार्गदर्शन मिल रहा है। मेरा यह मानना है कि वर्तमान शिक्षा में आध्यात्मिक और नैतिक मूल्यों की शिक्षा देकर विद्यार्थियों को अच्छी तरह से सुसंस्कारित करने की आवश्यकता है। शिक्षा का उद्देश्य मात्र पैसा कमाना नहीं होना चाहिये। 

राज्‍यपाल ने कहा कि करोना जैसी वैश्विक महामारी के दौर में भी हमारे शिक्षकों ने नई तकनीक के माध्यम से ऑनलाईन कक्षा लेकर विद्यार्थियों का ज्ञानवर्द्धन किया है। उन्हें मार्गदर्शन प्रदान करने का कार्य किया है। कुलाधिपति के रूप में आपके इन प्रयासों की सराहना करता हूं। मैं चाहता हूं कि राज्य में उच्च शिक्षा का ऐसा वातावरण बने कि अन्य राज्यों के विद्यार्थी भी यहां आने की मंशा रखे।

कार्यक्रम में राज्यपाल द्वारा रांची विश्वविद्यालय की न्यूज बुलेटिन (न्यूज लेटर) का लोकार्पण किया गया। विश्वविद्यालय की ‘हिंदी विभाग अतीत और वर्तमान’ नामक पुस्तक का भी लोकार्पण किया। इसके लेखक विश्वविद्यालय हिंदी विभाग के पूर्व अध्यक्ष डॉ जंग बहादुर पाण्डेय हैं।

रांची विश्वविद्यालय के अवकाश प्राप्त शिक्षकों का सम्मान शॉल, पौधा देकर राज्यपाल ने किया। सम्मानित किए गए शिक्षकों में पूर्व कुलपति डॉ रमेश कुमार पाण्डेय, पूर्व कुलपति डॉ रमेश शरण, डॉ सरस्वती मिश्रा, डॉ संजय मिश्र, डॉ सतीश चंद्र गुप्ता, डॉ केसी प्रसाद, डॉ एसएनएल दास आदि शामिल हैं।

कार्यक्रम का संचालन परफॉर्मिंग एंड फाइन आर्ट की निदेशक डॉ नीलिमा पाठक ने किया। धन्यवाद रांची विश्वविद्यालय के कुलसचिव डॉ मुकुंद चंद्र मेहता ने किया।

राज्‍यपाल के जाने के बाद कुलपति डॉ कामिनी कुमार ने अवकाश प्राप्त शिक्षकों डॉ एस एन सिंह, डॉ पीके वर्मा, डॉ एलजीएसएन शाहदेव, डॉ उदय कुमार, डॉ अभिजीत दत्ता, डॉ रामेश्वर साहू, डॉ उमाशंकर शर्मा, डॉ रामलाल, डॉ रेणु दीवान, डॉ रेणुका ठाकुर, डॉ एनके केसरी सहित 70 प्राध्यापकों को सम्‍मानित किया।

कार्यक्रम में महापौर डॉ आशा लकड़ा, रांची विश्वविद्यालय के वित्त परामर्शी देवाशीष गोस्वामी, विज्ञान संकायाध्यक्ष डॉ ज्योति कुमार, डीएसडब्ल्यू डॉ राजकुमार शर्मा, सीसीडीसी डॉ राजेश कुमार, वित्त पदाधिकारी डॉ एएन शाहदेव, डॉ बीआर झा, डॉ अजय लकड़ा, डॉ अशोक सिंह, डॉ ज्ञान कुमार सिंह, डॉ राजीव कुमार सिंह, एनएसएस को-ऑर्डिनेटर डॉ ब्रजेश कुमार, डॉ आनंद ठाकुर आदि की विशेष रूप से उपस्थित रहें।