कोल इंडिया की पहली भ्रष्‍टाचार मुक्‍त सहायक कंपनी बनी सीएमपीडीआई

झारखंड मुख्य समाचार
Spread the love

रांची। कोल इंडिया की पहली भ्रष्‍टाचार रहि‍त सहायक कंपनी सीएमपीडीआई बन गई है। कंपनी को आईएसओ 37001:2016 एंटी ब्राइबरी मैनेजमेंट सर्टिफिकेट मिला है। यह प्रमाण पत्र तीन साल के लिए मान्‍य है। हालांकि हर साल ऑडिट होगा। कंपनी के सीएमडी एस सरन और सीवीओ सुम‍ित कुमार सिन्‍हा ने 25 जनवरी को प्रेस को यह जानकारी दी।

सीएमडी ने कहा कि सीएमपीडीआई कैशलेस, पेपरलेश और फेसलेस कार्य संस्‍कृति को अपनाकर डिजिटलाइजेशन की ओर बढ़ रही है। वर्ष 2016 में कंपनी ई-ऑफिस की ओर मूव कर गई थी। यहां टेंडर का काम भी फिजिकल नहीं होता है। उन्‍होंने कहा कि भारतीय मानक ब्यूरो (बीआईएस), बाहरी प्रमाणन एजेंसी (एक्सर्टनल सर्टिफिकेशन एजेंसी) ने 6 जनवरी से 8 जनवरी, 2021 तक कंपनी (मुख्यालय) के सभी विभागों/कार्यों का अंकेक्षण किया। इस क्रम में एजेंसी ने पाया कि सभी विभागों द्वारा एंटी ब्राइबरी मैनेजमेंट सिस्टम का पालन हर तरह से प्रभावकारी है।

सीवीओ ने कहा कि यह प्रमाण पाने वाली सीएमपीडीआई पूरे देश की दूसरी सार्वजनिक कंपनी है। प्रमाण पत्र पाने के पहले तीन सालों तक पारदर्शिता के साथ सभी विभागों के काम का मूल्‍यांकन किया गया। पता लगाने की कोशिश की कि कहां भ्रष्‍टाचार की आशंका रहती है। कमी को दूर किया गया। इसके बाद बीआईएस से ऑडिट कराया गया। अब हर साल इसका ऑडिट करना है। तीन साल के बाद पुन: बीआईएस ऑडिट करेगा।  इस दौरान स्‍टैंडर्ड को मेंटेन करना है।

सीएमडी ने कहा कि आईएसओ 37001:2016 किसी संगठन को रिश्वतखोरी को रोकने, पता लगाने और उस पर प्रतिक्रिया देने, रिश्वत निरोधक कानून का पालन करने में मदद करता है। प्रमाण-पत्र सीएमपीडीआई के प्रति स्टेक होल्डर की विश्वसनीयता, साख, आत्मविश्वास को बढ़ाता है। सीएमपीडीआई अक्टूबर, 2018 एबीएमएस को स्थापित और कार्यान्वित कर चुका है। तब से अब तक कंपनी ने रिश्वत निरोधक नीति, सभी प्रक्रियाओं में रिश्वतखोरी की जोखिम का मूल्यांकन, आंतरिक अंकेक्षण की प्रणाली तैयार की है। प्रबंधकीय समीक्षा की गई है, जिसके कारण सभी विभागों द्वारा एबीएमएस का पालन किया गया।