
नई दिल्ली/जमशेदपुर। द एनर्जी ऐंड रिसोर्सेज इंस्टीट्यूट (टेरी) और टाटा स्टील फाउंडेशन (टीएसएफ) ने ग्रीन स्कूल प्रोजेक्ट के तहत ’वन, जैव विविधता और जलवायु परिवर्तन’ विषय पर विद्यार्थियों और शिक्षकों के लिए आज एक ऑनलाइन सत्र का आयोजन किया। इसका उद्देश्य जलवायु कार्यवाही में वनों की महती भूमिका और जैव विविधता संरक्षण की तत्काल आवश्यकता पर स्टेकहोल्डरों के बीच जागरुकता पैदा करना था।
कार्बन का पृथक करने, पारिस्थितिक तंत्र को विनियमित करने, आजीविका का समर्थन करने और जैव विविधता की रक्षा करने में वनों की भूमिका अतुलनीय है। इसके अलावा, उनकी स्वस्थ उपस्थिति जलवायु स्थिरीकरण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। लेकिन, वनों की कटाई के कारण सिकुड़ते वन आवरण और निरंतर व अनियंत्रित शहरीकरण समेत अन्य मानव-प्रेरित तनावों ने पारिस्थितिकी तंत्र के संतुलन को बिगाड़ दिया है। जलवायु परिवर्तन के प्रभाव हर गुजरते दिन अधिक स्पष्ट होते जा रहे हैं, इस तरह के पारिस्थितिक असंतुलन के प्रभाव वनों पर निर्भर समुदायों और जंगलों पर जीवित रहने वाली विशाल जैव विविधता, दोनों के लिए विनाशकारी साबित हो सकते हैं।
वेस्ट बोकारो, जामाडोबा, जोडा, नोआमुंडी, कलिंगानगर, सुकिंदा और आंगुल के 34 स्कूलों के 130 से अधिक बच्चे इस ऑनलाइन सत्र में शामिल हुए। साथ ही, टाटा स्टील फाउंडेशन द्वारा संचालित ‘मस्ती की पाठशाला’ के विभिन्न केंद्रों से 100 विद्यार्थियों ने भी हिस्सा लिया।
पद्म श्री जमुना टुडू और पंकज सतीजा (चीफ रेगुलेटरी अफेयर्स, टाटा स्टील) सत्र में तकनीकी विशेषज्ञ के रूप में प्रतिभागियों के साथ रू-ब-रू हुए। सुश्री नेहा (फेलो, इन्वायर्नमेंट एजुकेशन ऐंड अवेयरनेस डिवीजन, टेरी) ने सत्र का संचालन किया।
सुश्री टुडू ने कहा, ‘पेड़ों और पौधों के संरक्षण के अपने प्रयासों में मुझे कई चुनौतियों का सामना करना पड़ा है, लेकिन उनमें से किसी ने भी मुझे अपने लक्ष्य से नहीं रोका। अगर आपने अपना मन बना लिया है और किसी चीज के लिए आपमें जुनून है, तो उसकी ओर बढ़ते रहें, इस तरह आप अपने लक्ष्यों को प्राप्त करते हैं।‘
लकड़ी माफिया के खिलाफ लड़ाई के लिए टुडू को ‘झारखंड की लेडी टार्जन’ के रूप में जाना जाता है। वह 25-30 लोगों के लगभग 300 समूहों का नेतृत्व करती हैं, जो जंगलों में गश्त लगाते हैं। झारखंड के जंगलों में पेड़ों की अवैध कटाई की घटनाओं पर सतर्क करते हैं। ये समूह नये पौधे लगाते हैं। क्षेत्र के जंगलों व जैव विविधता को पुनर्जीवित करने और बनाए रखने के लिए ग्रामीणों (विशेष रूप से महिलाओं) को अपने अभियान में शामिल होने के लिए प्रोत्साहित करते हैं।
इस अवसर सतीजा ने कहा, ‘ऊर्जा का अकुशल उपयोग, बेलगाम संसाधन खपत और प्रतिकूल भूमि उपयोग की ओर जा रही मानवजनित गतिविधियां जैव विविधता के नुकसान और जलवायु परिवर्तन को बढ़ावा दे रही हैं। जलवायु आवरण के स्थान बदलने से कुछ प्रजातियों के प्रवास के लिए बहुत कम जगह बच रही है, जिससे कई मामलों में आजीविका प्रभावित हो रही है। दुर्भाग्यवश सबसे अधिक प्रभावित वे हैं, जो कमजोर हैं और शायद स्थिति को बदतर बनाने में उनका योगदान सबसे न्यूनतम है। हर सकारात्मक कदम जैव विविधता के नुकसान को कम करने, ग्लोबल वार्मिंग को नीचे लाने और सिर पर मंडरा रही बिगड़ती असमानता को रोकने में मदद करेगा।‘
सुश्री नेहा ने कहा, ‘ग्रीन स्कूल प्रोजेक्ट का चौथा चरण इन गुणों को उनमें आत्मसात करा कर पारिस्थितिक तंत्र को पुनर्स्थापित करने और कल के चेंजमेकर बनाने पर केंद्रित है। इस प्रोजेक्ट का उद्देश्य स्थायी भविष्य के लिए धरती की रक्षा करने और उसे पुनर्स्थापित करने में विद्यार्थियों का क्षमता-निर्माण करना और सहभागी टूल्स विकसित करना है।‘