टाटा स्‍टील ने दायित्‍व के वाहक नौरोजी सकलातवाला को किया याद

झारखंड
Spread the love

जमशेदपुर। टाटा स्‍टील ने दायित्‍व के वाहक सर नौरोजी सकलातवाला को याद किया। उनका जन्म 10 सितंबर, 1875 को हुआ था। उनके पिता का नाम बापूजी था। उनकी माता वीरबाईजी टाटा, जमशेदजी एन टाटा की बहन थी। उन्होंने सेंट जेवियर्स स्कूल ऐंड कॉलेज, बाम्बे (अब मुम्बई) से शिक्षा ग्रहण की।

वर्ष, 1899 में उन्होंने एक क्लर्क के रूप में स्वदेसी मिल्स ज्वाइन किया। 20 वर्ष के अंदर वे फर्म के हेड बन गये। उन्होंने टिस्को (अब टाटा स्टील), टाटा हाइड्रो इलेक्ट्रिक पॉवर सप्लाई कंपनी (अब टाटा पॉवर), एसोसिएट सीमेंट कंपनीज (जो अब एसीसी लिमिटेड के नाम से लोकप्रिय है) और न्यू इंडिया लाइफ इन्श्योरेंस कंपनी समेत कई टाटा ग्रुप कंपनियों के चेयरमैन के रूप में काम किया। वे इम्पीरियल बैंक ऑफ इंडिया के चेयरमैन बने। बॉम्बे पार्ट ट्रस्ट के बोर्ड के सदस्य के रूप में भी काम किया। टाटा स्टील के चेयरमैन के रूप में उन्होंने कर्मचारियों के कल्याण के लिए मुनाफा साझा करने की योजना में महत्वपूर्ण योगदान दिया।  

सर दोराबजी टाटा के निधन के बाद उन्हें 1932 में टाटा संस का चेयरमैन चुना गया। सर दोराबजी टाटा ट्रस्ट के चेयरमैन के रूप में उन्होंने कई परोकारी संस्थानों को आगे बढ़ाया और उनकी मदद की। 1923 में वे ‘कम्पैनियन ऑफ द ऑडर ऑफ द इंडियन एम्पायर (सीआईई) बने और 1933 में उन्हें नाइटहुड की उपाधि मिली। वे बॉम्बे विधान परिषद के सदस्य बने और 1922 में बॉम्बे विधान सभा के दौरान उन्होंने परिषद का प्रतिनिधित्व किया।     

एक विधिवत घोषित पादरी होने के नाते उन्होंने सादा जीवन जिया। खेलों के वे बहुत बड़े प्रशंसक थे। उन्होंने क्रिकेट क्लब ऑफ इंडिया, पारसी जिमखाना और बॉम्बे प्रेसिडेंसी ओलंपिक एसोसिएशन के चेयरमैन के रूप में खेलों के क्षेत्र में अपनी सेवाएं दी। वे बॉम्बे हॉकी फेडरेशन के वाईस प्रेसिडेंट भी थे। मुम्बई का शानदार ब्रेबोर्न स्टेडियम का निर्माण उनके ही मार्गदर्शन में हुआ था।  यूरोप टूर के दौरान फ्रांस के आईक्स-ली-बैंस में 21 जुलाई 1938 में नौरोजी सकलातवाला का निधन हो गया। टाटा स्टील सर नौरोजी सकलातवाला की 146वीं जयंती पर उनको नमन करती है।