बीएयू में शोध थीसिस में हिन्‍दी में लघु सारांश जोड़ने का लाया जा रहा प्रस्ताव

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  • कृषि तकनीकी में हिन्‍दी भाषा का अधिक इस्तेमाल की जरूरी : कुलपति
  • बीएयू में हिन्‍दी पखवाड़ा का आयोजन

रांची। बिरसा कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ ओंकार नाथ सिंह ने कृषि वैज्ञानिकों को कृषि प्रौद्योगिकी हंस्तांतरण में हिन्‍दी भाषा का अधिक प्रयोग पर जोर दिया। उन्‍होंने कहा कि पूरे देश में संवाद एवं संचार में हिन्‍दी जैसी समृद्ध दूसरी भाषा नहीं हो सकती। हिन्‍दी भाषा में कृषि तकनीकी साहित्य एवं पत्रिका के अधिकाधिक प्रकाशन की जरूरत बताई। उन्‍होंने कहा कि प्रदेश के किसानों के हित में सभी नवीनतम कृषि तकनीकों को हिन्‍दी भाषा में उपलब्ध कराया जाय। कृषि शोध एवं प्रतिवेदन का सार को हिन्‍दी भाषा में हो, ताकि हर सामान्य जन में विषयों की समझ बढ़े। तकनीकों का क्षेत्र को व्यापक आधार दिया जा सके। वे ‘कृषि क्षेत्र में हिन्‍दी भाषा की संभावना’ विषय पर आयोजित हिन्‍दी पखवाड़ा में बोल रहे थे।

स्वागत भाषण में डीन एग्रीकल्चर डॉ एमएस यादव ने हिन्‍दी की महत्ता विषय पर कहा कि प्रत्येक भारतीय नागरिक के लिए राष्ट्रगाण की तरह राष्ट्रीय भाषा हिन्‍दी सर्वोपरी है। देश का सम्मान राष्ट्रीय भाषा पर टिकी होती है, जिससे नागरिकों को विशिष्ट पहचान मिलती है। राष्ट्रीय प्रेम, सदभाव, एकता एवं सामंजस्य को स्थापित करने में हिन्‍दी का विशिष्ट स्थान है।

निदेशक छात्र कल्याण डॉ डीके शाही ने हिन्‍दी भाषा के विस्तार में फादर कामिल बुल्के के योगदान पर प्रकाश डाला। उन्‍होंने कहा कि हिन्‍दी वर्ण की शुरुआत अ से और अंत ज्ञ से होता है। हिन्‍दी भाषा अ से अनपढ़ को ज्ञ से ज्ञानी बनाने में सक्षम है।

निदेशक स्नातकोत्तर एवं आवासीय शिक्षा डॉ एमके गुप्ता ने हिन्‍दी भाषा की संस्कृति को अंग्रेजी पराधीनता से मुक्ति की आवश्यकता पर बल दिया। पशुपालन के क्षेत्र में हिन्‍दी भाषा के महत्व पर प्रकाश डाला। पशुपालन तकनीकी विस्तारीकरण एवं पशु चिकित्सा में हिन्‍दी भाषा को प्राथमिकता देने की जरूरत बताई। कहा कि विवि के शोध थीसिस में हिन्‍दी भाषा में लघु सारांश जोड़ने का प्रस्ताव लाया जा रहा है।

विश्वविद्यालय प्राध्यापक (मृदा) डॉ राकेश कुमार ने हिन्‍दी भाषा को अपनी आकांक्षा, आशा एवं अपेक्षाओं को अभियक्त करने का सशक्त माध्यम बताया। प्रत्येक नागरिक द्वारा हिन्‍दी भाषा को अपने दैनिक जीवन में आत्मसात करने की आवश्यकता बताई।

प्राध्यापक डॉ बीके झा ने हिन्‍दी को व्यापक भोगौलिक क्षेत्र का भाषा बताया। कहा की सूचना प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में हिन्‍दी भाषा काफी सशक्त रूप से उभर कर सामने आया है। गूगल पर हिन्‍दी भाषा में करीब सभी विषयों पर जानकारी उपलब्ध है, जो हिन्‍दी की महत्ता को परिभाषित करती है।

इस अवसर पर ई डीके रूसिया, डॉ जय कुमार, डॉ नैयर अली, डॉ एचसी लाल, डॉ नीरज कुमार, ई गौरव साहू, अमरेन्द्र कुमार वर्मा एवं भारती कुमारी ने हिंदी की महत्ता पर अपने विचार रखें।

कार्यक्रम का संचालन करते हुए बिरसा हरियाली रेडियो की समन्वयक शशि सिंह ने राष्ट्रीय एकता एवं राष्ट्रीय हित में हिन्‍दी भाषा के प्रयोग पर विचारों को रखा। धन्यवाद डॉ विनय कुमार ने किया। मौके पर डॉ अब्दुल वदूद, डॉ सुशील प्रसाद, डॉ एसके पाल, डॉ एस कर्मकार, डॉ एमके वर्णवाल, प्रो भूपेन्द्र कुमार एवं अन्य वैज्ञानिक एवं कर्मचारी भी मौजूद थे।