पश्चिमी सिंहभूम। यह तस्वीर हमको-आपको विचलित कर सकती है। परंतु सत्ता में बैठे लोगों को इससे कोई फर्क नहीं पड़ने वाला। यहां बता दें कि यह तस्वीर पश्चिमी सिंहभूम जिले के मझगांव विधानसभा क्षेत्र के मंझारी प्रखंड के एक गांव की है।
इस गर्भवती महिला मालती तामसोय को गांव की औरतें उठा कर निजी वाहन की तरफ ले जा रही हैं, जो गांव से एक किलोमीटर दूर है। प्रसव पीड़ा से छटपटाती मालती को सरकारी एंबुलेंस नहीं मिली। घरवालों ने प्राइवेट गाड़ी मंगाई, लेकिन गांव तक जानेवाली कच्ची सड़क बरसात में दलदल बन गयी है। वह भी गांव नहीं पहुंच सकी, तो इस गर्भवती महिला को उठाकर गाड़ी तक ले जाना पड़ा।
बता दें कि हर साल राज्य में सैकड़ों किलोमीटर सड़क बनती है। विधायक और सांसदों को सालाना करोड़ों का फंड मिलता है। डीएमएफटी फंड से करोड़ों रुपये खर्च किये जाते हैं, अभी जिले में डीएसएफटी फंड से 65 करोड़ की निविदा निकली है। उसके बावजूद ऐसी तस्वीरों को देखना विचलित करता है।
आखिर कहां जाता है विकास योजनाओं का पैसा। कहां बनती है सड़कें। बनी हुई सड़कों को फिर से बनाया जाता है, लेकिन जिन गरीब आदिवासियों के विकास के नाम पर योजनाएं बनती हैं, उनकी पोल खोलती हैं यह तस्वीर शर्मसार करने वाली है।