उत्तर प्रदेश। रक्षाबंधन पर्व पर किसी भाई की कलाई सूनी न रहे। इसके लिए डाक विभाग ने रक्षाबंधन के दिन रविवार को भी राखी डाक के वितरण के लिए विशेष प्रबंध किए। उत्तर प्रदेश के सभी जनपदों में राखी डाक बांटने के लिए रविवार को भी डाकघर खुले। पोस्टमैनों ने लोगों के घर राखी डाक पहुंचाई। वाराणसी परिक्षेत्र के पोस्टमास्टर जनरल कृष्ण कुमार यादव ने बताया कि डाक विभाग ने अकेले वाराणसी में 10 हजार से ज्यादा लोगों को राखी डाक रविवार को पहुंचाई ।
पोस्टमास्टर जनरल ने बताया कि ऐसे तमाम लोग जो कोरोना वॉरियर्स के रूप में काम कर रहे हैं और घर से दूर हैं। उन तक भी बहनों द्वारा भेजी गई राखी डाकियों द्वारा पहुंचाई गई। पुलिसकर्मियों से लेकर डॉक्टर्स और पैरामेडिकल स्टाफ तक को रविवार को राखी डाक वितरित की गई। वाराणसी परिक्षेत्र में राखी त्यौहार के दौरान लगभग एक लाख राखी डाक का डाकघरों द्वारा वितरण किया गया।
डाक विभाग द्वारा रविवार को राखी वितरण से प्रसन्न लोगों ने दिल खोलकर डाक विभाग की इस पहल की सराहना की। शुक्रिया अदा किया। तमाम लोगों ने सोशल मीडिया पर भी डाक विभाग की इस पहल की सराहना की। काशी हिंदू विश्वविद्यालय में हिंदी विभाग के प्रोफेसर एवं चर्चित साहित्यकार, लेखक और स्तंभकार प्रो सदानंद शाही को जब रविवार के दिन डाकिया बाबू ने उनकी बहन की राखी दी, तब उनकी खुशी का ठिकाना नहीं रहा। उन्होंने लिखा कि, ‘आज सुबह-सुबह हमारे पोस्टमैन शत्रुघ्न नारायण सिंह बहन मुन्नी की राखी लेकर आये और रक्षाबंधन का सगुन पूरा हुआ। रक्षाबंधन की पहली बधाई अपने पोस्टमैन को जो त्यौहार के बावजूद घर-घर रक्षाबंधन की खुशी बांट रहे हैं। ऐसे समय में खुशी बांटने का संकल्प मूल्यवान तो है ही आवश्यक भी।‘
महमूरगंज में रहने वाले नीतिश कुमार ने बताया कि वे अपनी बहन द्वारा भेजी गई राखी अब तक नहीं प्राप्त होने पर मायूस हो चले थे। हालांकि रविवार की सुबह जब पोस्टमैन ने घर पर आकर राखी का लिफाफा दिया, तब खुशी का ठिकाना नहीं रहा।
वस्तुत: अवकाश होने के बावजूद रविवार को डाक विभाग द्वारा राखी का घर-घर जाकर वितरण करना और यह सुनिश्चित करना कि किसी भाई की कलाई सूनी न रह जाए। डाकघरों की अहमियत और उनके अनूठे सेवा भाव को दर्शाता है। चिट्ठियों के माध्यम से खुशियां बिखेरते रहने वाले डाक विभाग ने रिश्तों के इस त्यौहार को भी एक नया आयाम दिया है।