याद रखें, स्तनपान है शिशु का मौलिक अधिकार, नहीं कर सकते वंचित

झारखंड
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विश्व स्तनपान सप्ताह के समापन पर उपायुक्त की धर्मपत्नी ने कहा

आनंद कुमार सोनी

लोहरदगा। जो भी माताएं अभी-अभी मां बनी हैं, वे अपने नवजात को अपना दूध अवश्य पिलायें। यह दूध अमृत के समान होता है। अपने घरेलु कार्य में माताएं कितनी भी व्यस्त हो, लेकिन अपने नवजात को जन्म के पहले छह माह अवश्य अपना दूध पिलायें। मां के दूध में पाया जानेवाला पदार्थ कोलेस्ट्रम शिशु को प्रतिरोधक क्षमता प्रदान करता है, जिससे बच्चे कम बीमार पड़ते हैं। उनका विकास अच्छी तरह होता है। स्तनपान शिशु का मौलिक अधिकार होता है। आप शिशु को इससे वंचित नहीं कर सकते हैं। उक्‍त बातें लोहरदगा उपायुक्‍त की पत्‍नी शकुंतला टोप्‍पो ने कही। वह विश्व स्तनपान सप्ताह के समापन समारोह पर प्रखंड-सह-अंचल कार्यालय, लोहरदगा में शनिवार को आयोजित समारोह में बतौर मुख्‍य अतिथि बोल रही थीं।

प्रथम छह माह सिर्फ मां का दूध

मुख्य अतिथि ने कहा कि जन्म के बाद बच्चे के लिए प्रथम छह माह मां का दूध ही सर्वोत्तम आहार है। इसका कोई विकल्प नहीं है। इससे शारीरिक व बौद्धिक विकास होता है। बच्चे कुपोषित नहीं होते। स्तनपान से स्तन कैंसर का भी खतरा कम हो जाता है। स्तनपान से मां और बच्चे के बीच एक जुड़ाव पनपता है। स्तनपान में उचित तरीके का ख्याल रखना चाहिए। बच्चा का पेट अच्छी तरह भर सके।

मां का दूध टीका के समान

जिला समाज कल्याण पदाधिकारी मनीषा तिर्की ने कहा कि मां का दूध बच्चों को लगने वाले टीका के समान है, जो कुपोषण व अन्य बीमारियों से बच्चे को बचाता है। नवजात को शुरुआती घंटों में स्तनपान कराने को लेकर कई भ्रांतियां ग्रामीण क्षेत्रों में रहती थीं। अब सेविकाएं अपनी जानकारी के माध्यम से भ्रांतियां दूर करने का कार्य कर रही हैं। सेविकाएं अपनी भूमिका निभायें। महिलाओं के गर्भधारण, प्रसव, टीकाकरण से संबंधी जानकारी उन तक ससमय पहुंचायें।

गोदभराई व अन्नप्राशन का कार्यक्रम

समारोह में पांच महिलाओं की गोदभराई, एक का अन्नप्राशन हुआ। मौके पर पोषाहार की प्रदर्शनी भी लगायी गई थी। इसका मुख्य अतिथि ने अवलोकन किया। समारोह में सभी सीडीपीओ, सेविका समेत बड़ी संख्या में माताएं उपस्थित थीं।