दृढ़ संकल्प वाला व्यक्ति थे नवल होर्मुसजी टाटा

झारखंड
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जमशेदपुर। नवल होर्मुसजी टाटा का जन्म 30 अगस्त, 1904 को बॉम्बे (अब मुंबई) में हुआ था। जब वे केवल चार वर्ष के थे, तब उनके पिता का निधन हो गया। सर रतन टाटा के निधन के बाद उनकी पत्नी लेडी नवाजबाई टाटा ने नवल टाटा को गोद ले लिया, क्योंकि उत्थाम्ना रस्म पूरा करने के लिए एक बेटे की आवश्यकता थी। जब नवल टाटा को गोद लिया गया था, तब वे केवल तेरह वर्ष के थे। 

नवल टाटा ने बॉम्बे यूनिवर्सिटी से अर्थशास्त्र में स्नातक किया। लंदन में अकाउंटेंसी की पढ़ाई की। वे 1930 में टाटा ग्रुप में शामिल हुए। 1939 में वे टाटा मिल्स के ज्वाइंट मैनेजिंग डायरेक्टर बने। 1 फरवरी, 1941 को वे टाटा संस लिमिटेड के डायरेक्टर बने। उन्होंने 1948 में टाटा ऑयल मिल्स कंपनी लिमिटेड के मैनेजिंग डायरेक्टर के रूप में पदभार संभाला। उन्हें 1947 में टाटा मिल्स का चेयरमैन भी बनाया गया।

खेलों में उनका अहम योगदान तो था ही, सामाजिक, शैक्षिक व कल्याणकारी कार्यों में भी उन्होंने कई वरीय पदों को सुशोभित किया। उन्होंने इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस, बॉम्बे स्टेट सोशल वेलफेयर काउंसिल, स्वदेशी लीग और नेशनल सेफ्टी काउंसिल के साथ कंधे से कंधा मिला कर काम किया। वे इंडियन कैंसर सोसाइटी के चेयरमैन, ऑक्जीलरी फोर्सेज वेल्फेयर एसोसिएशन के प्रेसिडेंट और कई परोपकारी ट्रस्टों के ट्रस्टी रहे। उन्होंने भारतीय हॉकी महासंघ के अध्यक्ष के रूप में पंद्रह वर्षों तक अपनी सेवाएं दी। 

नवल टाटा 26 जनवरी, 1969 को पद्म भूषण से सम्मानित किये गये। इसी वर्ष उन्हें औद्योगिक शांति में उनकी भूमिका के लिए सम्मानित करते हुए उन्हें सर जहांगीर धांदी पदक से नवाजा गया। उन्हें नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ पर्सनल मैनेजमेंट की आजीवन सदस्यता भी दी गयी थी। 5 मई 1989 को मुंबई में कैंसर के कारण उनका निधन हो गया।

भारत में हॉकी के विकास में उनके योगदान के लिए 2018 में जमशेदपुर में स्थापित अत्याधुनिक नवल टाटा हॉकी एकेडमी का नाम उनके नाम पर रखा गया है। यह एकेडमी टाटा ट्रस्ट्स, टाटा स्टील और बोवलैंडर एकेडमी, नीदरलैंड के वन मिलियन हॉकी लेग्स प्रोग्राम के बीच एक साझेदारी है।