- एनएसएस एवं यूनिसेफ का आपदा प्रबंधन पर एक दिवसीय वेबिनार
रांची। आपदाओं से बचने के लिए प्रकृति संरक्षण की जरूरत है। आपदाओं के पूर्व इसकी सुरक्षा पर ध्यान देने एवं जागरूक करने की जरूरत है। वज्रपात एवं बाढ़ जैसी आपदाओं के पूर्व जागरुकता के प्रति एनएसएस के स्वयंसेवकों की भूमिका सराहनीय रही है। आकाशीय बिजली सामान्यत: पेड़ एवं भवनों पर गिरती है। वज्रपात से बचने के लिए घर में तड़ित संचालक निश्चित रूप से लगानी चाहिए। यह बिजली को भूमि में लेकर चली जाती है। उक्त बातें रांची विवि की कुलपति डॉ कामिनी कुमार ने कही। वह आपदा प्रबंधन पर आयोजित एक दिवसीय वेबिनार में बतौर मुख्य अतिथि बोल रही थी। इसका आयोजन एनएसएस, यूनिसेफ, सेंटर फॉर चाइल्ड राइट एवं एनयूएसआरएल के संयुक्त तत्वावधान में 20 अगस्त को हुआ था।
झारखंड के राज्य एनएसएस पदाधिकारी डॉ ब्रजेश कुमार ने कहा कि आपदाओं से निपटने के लिए जागरुकता की जरूरत है। आपदा प्रबंधन में एनएसएस की भूमिका सराहनीय रही है। एनएसएस के स्वयंसेवकों का आपदा प्रबंधन के क्षेत्रों में यथा कोविड-19, बाढ़, सड़क सुरक्षा में जागरुकता के प्रति सराहनीय कार्य रहा है।
मुख्य वक्ता क्लाइमेट रेसिलियंट ऑब्जर्विंग सिस्टम प्रमोशन काउंसिल के चेयरमैन कर्नल संजय श्रीवास्तव ने पावर प्वाइंट प्रेजेंटेशन के माध्यम से वज्रपात की विस्तृत जानकारी दी। उन्होंने कहा कि वज्रपात से बचने के लिए सुरक्षा मानक का हमेशा पालन करनी चाहिए। जलवायु परिवर्तन के कारण वज्रपात की घटनाएं लगातार बढ़ रही है। बादलों के आपस में टकराने से आकाशीय बिजली उत्पन्न होती है, जो पृथ्वी पर गिरकर भयावह रूप धारण करती है।
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एनडीआरएफ 9 बटालियन बिहार के सब इंस्पेक्टर राहुल वर्मा ने कहा कि आपदाओं में एनडीआरएफ टीम बखूबी अपना दायित्व निर्वहन करती है। एनडीआरएफ की टीम सुरक्षा मानकों पर ध्यान देती है, जिसके तहत प्राकृतिक आपदाओं से निपटने का कार्य करती है। उन्होंने पावर प्वाइंट प्रजेंटेशन के माध्यम से भारी वर्षा एवं बाढ़ से निपटने की जानकारी दी।
वेबिनार में विषय प्रवेश चाइल्ड राइट के डॉ के श्यामला एवं स्वागत यूनिसेफ की प्रीति श्रीवास्तव ने किया। अंत में प्रश्नोत्तरी सत्र में प्रतिभागियों ने सवाल-जवाब किए। वेबिनार का संचालन डॉ फैज और धन्यवाद डॉ ब्रजेश कुमार ने किया। वेबिनार में यूनिसेफ के कम्युनिकेशन ऑफिसर आस्था अलंग ने भी अपने विचार व्यक्त किए।
वेबिनार में डॉ प्रियंका सिंह, एसकेयू की कार्यक्रम समन्वयक डॉ मेरी मार्गरेट टूडू, कोल्हान विश्वविद्यालय के डॉ दारा सिंह गुप्ता, विनोबा भावे विश्वविद्यालय के एनएसएस के कार्यक्रम समन्वयक डॉ जॉनी रुफीना तिर्की, प्रोग्राम ऑफिसर भोला नाथ सिंह, अनुज कुमार, डॉ खेमलाल महतो, डॉ शीला सिंह, अवधेश कुमार सिंह, एके मिश्रा, डॉ एस नीरज, डॉ बिगुल प्रसाद, प्रो रिमझिम रुखैयार, डॉ अतुल अनुराग तिर्की, डॉ शशि भूषण, सीनियर वॉलिंटियर अमन हेंब्रम, अभिषेक रंजन, स्वयंसेवक अंकिता कुमारी, सभ्यता भूषण, राजीव कुमार, राजेश, राहुल, प्रिया, विवेक, दीपक उपस्थित थे।
वेबिनार में झारखंड दुमका, गोड्डा, जामताड़ा, देवघर, पाकुड़, साहेबगंज, हजारीबाग, चतरा, कोडरमा, गिरिडीह, रामगढ़, पूर्वी सिंहभूम, पश्चिमी सिंहभूम एवं सरायकेला खरसावां जिले के प्रोग्राम ऑ फिसर एवं एवं स्वयंसेवक समेत सवा दो सौ से अधिक प्रतिभागी जुड़े थे।