शिक्षा में किस्सागोई और डिजिटल टेक्नोलॉजी के उपयोग के बारे में जानें शिक्षक

झारखंड शिक्षा
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जमशेदपुर। समय के साथ शिक्षा के क्षेत्र में क्रमिक विकास हो रहा है। पारंपरिक व्यवस्था की कक्षाओं में समसामयिक विधियां पैठ कर रही हैं। इसे ध्यान में रख कर टाटा एजुकेशन एक्सीलेंस प्रोग्राम यानी टीईईपी ने 26 जुलाई, 2021 को एक ऑनलाइन सत्र का आयोजन किया। इसमें ‘शिक्षा में किस्सागोई और डिजिटल टेक्नोलॉजी के उपयोग’ पर मुख्‍य वक्‍ता बालाजी जाधव ने अपने विचार रखे।

बालाजी विजयनगर जिला परिषद स्कूल, महाराष्ट्र में सहायक शिक्षक के रूप में कार्यरत हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में सीमित साधनों के साथ विद्यार्थियों के लिए शिक्षा को आसान बनाने के डिजिटल टूल्स के इस्तेमाल पर उनके उल्लेखनीय कार्य के कारण 2015 में उन्हें सर्च जायंट गूगल ने भारत के चार ‘बेस्ट एजुकेटर्स’ में शुमार किया था। कोविड-19 लॉकडाउन के कारण उत्पन्न बाधाओं के बावजूद विद्यार्थियों के लिए शिक्षा कभी रूके नहीं, यह सुनिश्चित करने के लिए उन्होंने किस्सागोई का भी इस्तेमाल किया। उनके इस तरीके को अंतरराष्ट्रीय मंच पर दिसंबर, 2020 में घोषित एचबीएन क्रिएटीविटी ऐंड इंक्लूसिव अवार्ड्स में सम्मानित किया गया।

बालाजी ने विक्षोभ के वर्तमान समय में शिक्षकों और प्रधानाध्यापकों को चेंज एजेंट बनने के लिए प्रेरित किया। उपलब्ध ऑनलाइन टूल्स का व्यापक रूप से इस्तेमाल करने के लिए प्रोत्साहित किया। उन्होंने बताया कि किस प्रकार यह ना केवल बेहद लागत-प्रभावी है, बल्कि पठन-पाठन के अनुभव को भी बढ़ाता है। इस सत्र में पूरे जमशेदपुर से 150 से अधिक स्कूलों के शिक्षकों और प्रधानाध्यापकों ने हिस्सा लिया।