नई दिल्ली। यूरोपीय संसद ने चीन को बड़ा झटका दिया है। दरअसल, यूरोपीय संसद ने 2022 में होने वाले बीजिंग शीतकालीन ओलंपिक के बहिष्कार का ऐलान कर दिया है। यूरोपीय संसद के सांसदों ने सहमति जताते हुए कहा कि हमें चीन के मानवाधिकारों के हनन के कारण बीजिंग 2022 शीतकालीन ओलंपिक में हिस्सा लेने वाले निमंत्रण को अस्वीकार करना चाहिए।
क्या हैं सांसदों की मांग?
सांसदों ने कहा कि उन्हें उइगुर मुसलमानों को लेकर चीन के व्यवहार पर और अधिक प्रतिबंध लगाना चाहिए। साथ ही यूरोपीय देशों को हॉन्ग कॉन्ग में लोकतंत्र समर्थकों का समर्थन करना चाहिए। इसके अलावा चीन के साथ प्रत्यर्पण संधि को तत्काल प्रभाव से खत्म करने और बीजिंग ओलंपिक के डिप्लोमेटिक बॉयकॉट का भी आह्वान किया। यूरोपीय संसद के चीन प्रतिनिधिमंडल के अध्यक्ष जर्मनी के रेइनहार्ड बुटिकोफर ने कहा कि, हम यह सुनिश्चित करने के लिए लड़ेंगे कि यूरोप में सदस्य राज्य सरकारें भी एक अडिग रुख अपनाएं। हालांकि, यूरोपीय संसद के इस प्रस्ताव को मानने के लिए सदस्य देश बाध्य नहीं है।
चीन के लिए झटका क्यों?
दरअसल, चीन की योजना यूरोप में अमेरिका की खाली की हुई जगह को भरना है। जिसके चलते पिछले कुछ साल से चीन यूरोपीय देशों के साथ अपने संबंधों को मजबूत करने में जुटा हुआ है। इसी के मद्देनजर यूरोप में चीन सीईईसी कॉर्पोरेशन की शुरुआत भी की है।
क्या बोला चीन
दूसरी ओर, चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता वांग वेनबिन ने कहा कि ‘चीन खेल के राजनीतिकरण और मानवाधिकारों के मुद्दों को बहाने के रूप में इस्तेमाल करके हमारे आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप का कड़ा विरोध करता है।’ चीन ने कहा है कि इससे सिर्फ सभी देशों के एथलीटों और अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक के हितों को नुकसान होगा।