विधायक बंधु‍ तिर्की का सीएम को पत्र, वरीयता के आधार पर प्रधानाध्‍यापक का प्रभार देने की वकालत

झारखंड शिक्षा
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रांची। मांडर विधायक सह पूर्व शिक्षा मंत्री बंधु तिर्की ने मुख्‍यमंत्री हेमंत सोरेन को पत्र लिखा है। इसमें उन्‍होंने स्‍कूलों में प्रभारी प्रधानाध्‍यापक बनाये जाने संबंधी शिक्षा विभाग की अधिसूचना को स्‍थगित करने की मांग की है। वरीयता के आधार पर प्रधानाध्‍यापक का प्रभार देने की वकालत की है।

अने पत्र में विधायक ने कहा है कि झारखंड के शत प्रतिशत उच्च एवं उच्चतर माध्यमिक विद्यालयों में स्थायी प्रधानाध्यापक नहीं हैं। ऐसे में विद्यालयों के संचालन के लिए प्रभारी प्रधानाध्यापक के लिए 25 फरवरी, 2021 को शिक्षा सचिव ने एक अधिसूचना जारी की है। इसके कॉलम सं0- 3 (A) में उच्चतर माध्यमिक विद्यालयों में 5 वर्ष अनुभव प्राप्त नये PGT शिक्षक को प्रभारी प्रधानाध्यापक बनाने के लिए अधिसूचित है।

विधायक ने कहा है कि इस अधिसूचना के लागू होने से 30 वर्ष कार्य अनुभव रखने वाले वरीयतम उच्च विद्यालय के शिक्षक 5 वर्ष कार्य किये PGT शिक्षक के अन्दर में कार्य करने पर मजबूर होंगे। जैसे-1987 में नियुक्त मारवाड़ी+2 उच्च विद्यालय, रांची की शिक्षिका मोनिका मंडल, 2012 में नियुक्त PGT शिक्षक आशीष कुमार के अंडर में कार्य करने को मजबूर हैं।

वस्‍तुस्थिति को ध्‍यान में रखते हुए विधायक ने उक्‍त अधिसूचना को अविलंब निरस्त करते हुए वरीयता के आधार पर प्रभार संबंधी आदेश निर्गत करने की मांग की है।

इन बिंदुओं पर ध्‍यान आकृष्‍ट कराया

सरकारी माध्यमिक विद्यालयों में प्राचार्य का पद सृजित नहीं है, बल्कि प्रधानाध्यापक का पद सृजित है। इसलिए प्रधानाध्यापक के पद का प्रभार उसी संवर्ग के शिक्षक को लेना चाहिए।

प्रधानाध्यापक का पद केवल उच्च विद्यालयों में नियुक्त शिक्षकों की सेवा शर्त नियमावली में वर्णित है, जबकि PGT शिक्षकों के सेवाशर्त नियमावली में नहीं है।

+2 विद्यालय के शिक्षक प्राचार्य बनने की योग्यता रखते हैं, न कि प्रधानाध्यापक। अतः प्रधानाध्यापक का पद खाली होने पर वे प्रभारी प्रधानाध्यापक कैसे बन पायेंगे?

अविभाजित बिहार राज्य के समय से ही उच्च विद्यालयों में जहां +2 की पढ़ाई होती थी, आज तक प्रधानाध्यापक एवं प्रभारी प्रधानाध्यापक उच्च विद्यालयों में नियुक्त योग्यताधारी शिक्षक बनते आये हैं, न कि PGT शिक्षक।