- भारत ने 2020-21 में 619 करोड़ रुपये के 1.91 लाख टन केले का निर्यात किया
मुंबई। दुबई के लोग महाराष्ट्र के फाइबर और मिनरल से समृद्ध केला खाएंगे। भौगोलिक संकेत (जीआई) प्रमाणित कृषि उत्पादों के निर्यात को बढ़ावा देते हुए फाइबर और मिनरल से समृद्ध ‘जलगांव केला’ की एक खेप दुबई को निर्यात की गई है।
महाराष्ट्र के जलगांव जिले के तंदलवाड़ी गांव के प्रगतिशील किसानों से 22 मीट्रिक टन जीआई प्रमाणित जलगांव केले प्राप्त किए गए थे। यह इलाका कृषि निर्यात नीति के तहत पहचाने गए केले के उत्पादन का प्रमुख कृषि क्षेत्र है।
वर्ष 2016 में जलगांव केले को जीआई प्रमाणीकरण मिला, जो निसारगर्जा कृषि विज्ञान केंद्र (केवीके) जलगांव में पंजीकृत था। वैश्विक मानकों के अनुरूप कृषि पद्धतियों को अपनाने के कारण भारत का केला निर्यात तेजी से बढ़ रहा है।
भारत का केले का निर्यात मात्रा और मूल्य दोनों के लिहाज से बढ़ा है। वर्ष 2018-19 में 1.34 लाख मीट्रिक टन केले का निर्यात हुआ था। इसकी कीमत 413 करोड़ रुपये थी। वर्ष 2019-20 में निर्यात बढ़कर 1.95 लाख मीट्रिक टन हो गया, जिसकी कीमत 660 करोड़ रुपए थी। इसी तरह वर्ष 2020-21 (अप्रैल 2020-फरवरी 2021) में भारत ने 619 करोड़ रुपये मूल्य के 1.91 लाख टन मूल्य के केले का निर्यात किया।
भारत कुल उत्पादन में लगभग 25% की हिस्सेदारी के साथ दुनिया में केले का सबसे बड़ा उत्पादक है। आंध्र प्रदेश, गुजरात, तमिलनाडु, महाराष्ट्र, केरल, उत्तर प्रदेश, बिहार और मध्य प्रदेश देश के केले के उत्पादन में 70% से अधिक का योगदान करते हैं।
कृषि और प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण (एपीईडीए) अपनी योजना के विभिन्न घटकों जैसे बुनियादी ढांचा विकास, गुणवत्ता विकास और बाजार विकास के तहत निर्यातकों को सहायता प्रदान करके कृषि और प्रसंस्कृत खाद्य उत्पादों के निर्यात को बढ़ावा देता है। इसके अलावा, एपीईडीए कृषि और प्रसंस्कृत खाद्य उत्पादों को बढ़ावा देने के लिए आयात करने वाले देशों के साथ अंतर्राष्ट्रीय क्रेता-विक्रेता बैठकें, आभासी व्यापार मेले भी आयोजित करता है।
इसके अलावा वाणिज्य विभाग भी विभिन्न योजनाओं जैसे निर्यात के लिए व्यापार अवसंरचना योजना, बाजार पहुंच पहल आदि के माध्यम से निर्यात में मदद करता है।