आनंद कुमार सोनी
लोहरदगा। पतंजलि परिवार ने घरों में ही रहकर विश्व योग दिवस मनाने का आह्वान किया। पतजंलि भरत स्वाभिमान के लोहरदगा जिला प्रभारी एवं मुख्य योग प्रशिक्षक प्रवीण कुमार भारती ने कहा कि योग निरोगमय जीवन का मूल आधार है। योग में क्रियात्मक अभ्यास आसन, प्राणायाम, ध्यान रोग के मुख्य कारण और उसके स्थायी समाधान का निर्विकल्प माध्यम है। योग के आठ अंग (यम, नियम, आसन, प्राणायाम, प्रत्याहार, धारणा, ध्यान और समाधि) होते हैं। अगर जीवनशैली में योग को अपना लें तो मन और शरीर दोनों का कायाकल्प होता है।
योग में मन के ऊपर बहुत ध्यान दिया गया है। हमारा मन अगर सकारात्मक, संकल्पित, मजबूत और आध्यात्मिक है तो रोग, दोष, अहंकार, ईर्ष्या,द्वेष, क्रोध, तनाव कुछ नहीं बिगाड़ सकते। मन के भावों का सीधा प्रभाव हमारे शरीर पर पड़ता है। क्रोध, तनाव के समय रक्तचाप बढ़ जाता है। अविचलित और प्रसन्न रहने पर ऐसी कोई शरीर को क्षति पहुंचानेवाली बात नहीं होती। योग और रोग का कोई सम्बन्ध नहीं है। प्रातः काल उठकर नित्य योगाभ्यास, सूर्यनमस्कार, कपालभाति, भस्त्रिका, अनुलोम-विलोम, ध्यान करने पर खुद में अद्भुत परिवर्तन अनुभव करेंगे।
आज कोरोना जैसी महामारी मनुष्य के फेफड़ा को बुरी तरह प्रभावित करता है। व्यक्ति अगर प्राणायाम का अभ्यास करें। सूर्यनमस्कार करे तो फेफड़ा बलिष्ठ हो जाता है। कफ रोग आक्रांत नहीं कर पाते। आज संसार के लगभग दो सौ देशों ने योग को अपनाया है। योग भारत द्वारा सम्पूर्ण विश्व को दिया गया एक अनमोल उपहार है। हम नित्य योग करके अकाल मृत्यु, अनावश्यक ऑपरेशन, अनावश्यक दवा के प्रयोग से बच सकते है। योग अशुभ का नाश और शुभ का प्रकाश देनेवाला माध्यम है।