पुरानी ब्याज दरें बरकरार, लोन लेने वाले उपभोक्ताओं को नहीं मिली राहत

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नई दिल्ली। होम लोन या कार लोन लेने वाले उपभोक्ताओं को भारतीय रिजर्व बैंक से एक बार फिर कोई राहत नहीं मिल सकी है। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने नीतिगत ब्याज दरों में एक बार फिर कोई बदलाव नहीं करने का फैसला किया है। नीतिगत ब्याज दरें पहले के स्तर पर ही बरकरार रहेंगी। ऐसे में लोन की किस्तें भी पहले के स्तर पर ही बनी रहेंगी। इसमें फिलहाल कोई कमी नहींं होगी। रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की 3 दिनों तक चली बैठक में इस बाबत फैसला लिया गया। इसके साथ ही रिजर्व बैंक ने इकोनॉमिक ग्रोथ के अनुमान को भी 10.5 फीसदी से घटाकर 9.5 फीसदी कर दिया है। 

आरबीआई की मौद्रिक नीति समिति के फैसले की जानकारी देते हुए शुक्रवार को रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्ति कांत दास ने कहा कि जब तक देश में कोरोना महामारी का आतंक कायम है, तब तक अर्थव्यवस्था पर पड़ रहे उसके प्रतिकूल प्रभाव को देखते हुए रिजर्व बैंक आर्थिक नीति को लेकर अकोमोडेटिव नजरिया कायम रखेगा। इससे साफ है कि आरबीआई मौजूदा परिस्थितियों में कोई बहुत सख्त फैसला लेने वाली नहीं है। 

रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की बैठक में लिए गए फैसले के मुताबिक रेपो रेट 4.0 फीसदी, रिवर्स रेपो रेट 3.35 फीसदी, मार्जिनल स्टैंडिंग फैसिलिटी (एमएसएफ) रेट 4.25 फीसदी और बैंक रेट 4.5 फीसदी के मौजूदा स्तर पर बने रहेंगे। आपको बता दें कि रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समिति ने अप्रैल के महीने में हुई पिछली बैठक में भी नीतिगत ब्याज दरों में कोई बदलाव नहीं करने का फैसला किया था। ये लगातार छठा ऐसा मौका है, जब रिजर्व बैंक ने नीतिगत ब्याज दरों को मौजूदा स्तर पर बरकरार रखा है। इसके पहले 2020 में भारतीय रिजर्व बैंक में 115 बेसिस प्वाइंट की कटौती की थी। 

नीतिगत ब्याज दरों को मौजूदा स्तर पर बरकरार रखने का फैसला ऐसे वक्त पर किया गया है, जब कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर के कारण देश की अर्थव्यवस्था पर काफी प्रतिकूल असर पड़ा है। ऐसे में रिजर्व बैंक के सामने अभी सबसे बड़ा मुद्दा महंगाई को नियंत्रण में रखने का है। केंद्रीय बैंक के गवर्नर के मुताबिक अप्रैल के महीने में महंगाई दर 4.3 फीसदी के स्तर पर रही, जो अर्थव्यवस्था के साथ ही आम उपभोक्ताओं के लिए काफी राहत वाली बात है। शक्तिकांत दास ने बताया कि अप्रैल के महीने में महंगाई की दर में आई कमी से आगे की संभावनाएं नजर आने लगी हैं। उन्होंने कहा कि मानसून को लेकर जो संभावनाएं जताई जा रही हैं, उससे इस बात की संभावना बनी है कि देश की अर्थव्यवस्था की रिकवरी में इस साल भी कृषि क्षेत्र का अहम योगदान रहने वाला है। 

मौद्रिक नीति समिति के फैसलों की जानकारी देते हुए आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने इकोनॉमिक ग्रोथ पर भी बैंक के नजरिये को स्पष्ट किया। उन्होंने कहा कि कोरोना संक्रमण के कारण शहरी क्षेत्र की मांग में लगातार कमजोरी आई है। इसके साथ ही ग्रामीण क्षेत्रों में कोरोना का संक्रमण पहुंच जाने के कारण भी आर्थिक गतिविधियां बाधित हुई हैं। इसकी वजह से जीडीपी विकास दर पर नकारात्मक असर भी पड़ सकता है। उन्होंने बताया कि भारतीय रिजर्व बैंक ने चालू वित्त वर्ष के दौरान विकास दर के अनुमान में 1 फीसदी की कमी कर दी है। पहले रिजर्व बैंक ने 10.5 फीसदी के इकोनामिक ग्रोथ का अनुमान लगाया था, लेकिन मौजूदा परिस्थितियों में इस अनुमान में कटौती कर इसे अब 9.5 फीसदी कर दिया गया है।