झारखंड के अभ्रक को मिलेगी खोयी पहचान, मिलेगा रोजगार

झारखंड बिज़नेस
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  • वर्षों से गैर-कानूनी तरीके से चले आ रहे अभ्रक उद्योग पर लगेगा विराम

कोडरमा। देश में सबसे उम्दा अभ्रक का उत्पादन झारखंड में होता है। मगर वर्षों से इसपर ध्यान नहीं दिया गया। आपकी सरकार बहुत जल्द इस संदर्भ में कानून लाने जा रही है। ये बातें मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने 17 जनवरी को कही। मुख्यमंत्री ने इस कड़ी को सशक्त करने और पहले चरण में अभ्रक की खोयी पहचान को पुनर्जीवित करने के उद्देश्य से ढिबरा डंप यार्ड में कार्य को पुनः प्रारंभ करने के लिए वाहन को हरी झंडी दिखाई। इससे एक ओर जहां वर्षों से गैर-कानूनी तरीके से चले आ रहे अभ्रक उद्योग पर विराम लगेगा। वहीं लाखों श्रमिकों का शोषण बंद होगा। व्यवस्थित रोजगार का सृजन होगा।

सरकार पुनर्जीवन देने का कर रही प्रयास

मालूम हो कि कोडरमा में वर्ष 1980 के पूर्व में अभ्रक खनिज के लगभग 400 खनन पट्टे धारित थे। वर्ष 1980 में वन (संरक्षण) अधिनियम लागू होने एवं वन्य प्राणी आश्रयणी के प्रभाव से कोडरमा में धारित अभ्रक खनिज के लगभग सभी खनन पट्टे बन्द होते चले गये। वर्तमान में कोडरमा जिला में अभ्रक खनिज का एक भी खनन पट्टा संचालित नहीं है। वर्तमान में सरकार द्वारा अभ्रक खनिज को पुर्नजिवित करने के लिए बहुत से प्रयास किये जा रहे है। इसके तहत झारखंड राज्य अन्तर्गत ढिबरा डम्प में पाये जाने वाले अभ्रक खनिज, जिनका व्यवसायिक मूल्य हो, के भंडार/डम्प का निष्पादन झारखण्ड राज्य खनिज विकास निगम लि. के माध्यम से किया जाएगा। उक्त के आलोक में भूतत्व निदेशालय द्वारा कोडरमा जिलान्तर्गत मौजा- चरकी, अंचल कोडरमा में भंडारित ढोबरा डम्प (अवशेष ) से अभ्रक का निष्कासन के लिए चिन्हित किया गया है।

सहकारी समितियां चुना ढिबरा का करेगी उठाव

मुख्यमंत्री द्वारा हरी झंडी दिखाए गए वाहन से ढीबरा डम्प से संबंधित सहकारी समितियों के सदस्यों द्वारा ढीबरा चुनकर कर जिला खनन कार्यालय, कोडरमा एवं जिला प्रशासन, कोडरमा द्वारा चिन्हित वाहन में ही लोड किया जाएगा। आज उक्त वाहन को अपने गंतव्य स्थान JSMDC द्वारा धारित खनिज भंडारण अनुज्ञप्ति स्थल मौजा- थाम, अंचल- चन्दवारा भेजने के लिए कोडरमा जिला के पहाड़पुर मोड़ से मुख्यमंत्री द्वारा रवाना किया गया।