विदेश में पढ़ाई को लेकर लेवरेज एडु ने किया सर्वे, सामने आई ये बातें

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नई दिल्ली। पिछले साल की तुलना में इस साल 94% अधिक भारतीय छात्र विदेश यात्रा और अध्ययन करने के इच्छुक हैं। इसका खुलासा लेवरेज एडु के सर्वेक्षण में हुआ है। यह सर्वेक्षण उन उपयोगकर्ताओं के बीच किया गया था, जिन्होंने पिछले 5 महीनों में लेवरेज एडु प्लेटफॉर्म पर पंजीकरण कराया था।

लेवरेज एडु के संस्थापक और सीईओ अक्षय चतुर्वेदी ने कहा कि मुख्य रूप से इसका कारण यूके, यूएस और अन्य विकसित देशों की सरकारों की ओर से उच्च शिक्षा और आप्रवासन नीतियों को खोलना है। उनकी ओर से पहले से कहीं अधिक स्वागत योग्य तरीके से संवाद किया जा रहा है। महामारी ने देशों के आर्थिक विकास के बारे में सोच को काफी कुछ बदल दिया है। समावेशन और सबको साथ लेकर आगे बढ़ाना अब उनके चार्ट में सबसे ऊपर है। भारत में कोविड-19 की दूसरी लहर के बाद शुरुआती टीकाकरण साथ ही स्वास्थ्य संबंधी बुनियादी ढांचे तक पहुंच, हम जिस हवा में सांस लेते हैं उसकी गुणवत्ता, जैसी बुनियादी बातों को बहुत प्रासंगिकता मिली है।

सर्वेक्षण में ये बात उभकर आये सामने

75% छात्रों ने यूके को अपनी पसंदीदा स्टडी डेस्टिनेशन के रूप में चुना। कनाडा और अमेरिका को क्रमशः 13% और 9% छात्रों ने चुना।

71% छात्रों ने विदेश में पढ़ाई और अपने अवसर देखने के अपने प्रमुख कारणों में से एक के रूप में बेहतर हेल्थकेयर इन्फ्रास्ट्रक्चर को चुना।

60% छात्र एजुकेशन लोन के जरिए अपनी पढ़ाई के लिए पैसा जुटाना चाह रहे हैं।

58% छात्रों ने कहा कि उन्होंने पिछले 3 महीनों में अपनी योजनाएं बनाई हैं, जबकि 36% ने कहा कि उनकी योजनाएं बहुत पुरानी थी। अब वे उन पर आगे बढ़ना चाह रहे हैं।

59% छात्रों ने इस वर्ष अपने स्टडी डेस्टिनेशन को नहीं बदलने का विकल्प चुना, जबकि 28% छात्रों ने अपने डेस्टिनेशन विकल्प को दूसरे देश से यूके में बदल दिया।

विद्यार्थियों ने ये बातें भी बताई

अपने पसंदीदा स्टडी डेस्टिनेशन के रूप में यूके को चुनने वाले छात्रों में से 2/3 छात्रों ने कहा कि सभी अंतरराष्ट्रीय छात्रों को टीकाकरण करने की यूके की योजना से आने वाले छात्रों को लाभ होगा।

35% वोट्स के साथ छात्रों के लिए मैनेजमेंट/बिजनेस कोर्स संकाय सबसे पसंदीदा रहे, जबकि इंजीनियरिंग 18% वोट के साथ दूसरे स्थान पर रही। डेटा साइंस/एनालिटिक्स ने भी इस साल 9% छात्रों के पाठ्यक्रम के लिए जाने के साथ अपनी पहचान बनाई।

सर्वेक्षण में शामिल 60% छात्रों ने सहमति जताई कि विदेशी विश्वविद्यालयों की ओर से महामारी के बीच निरंतर संचार उपयोगी रहा है। प्रदान की गई जानकारी निर्णय लेते समय उपयोगी रही है।

नई जानकारी के अनुसार

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