यूनियन नेताओं की वर्चस्‍व की लड़ाई में फंसे सीसीएल कामगार, सामूहिक तबादला

झारखंड
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प्रशांत अंबष्‍ठ

बोकारो। सतर्कता विभाग की रिपोर्ट को आधार बनाकर बेरमो कोयलांचल में कार्यरत कामगारों का थोक के भाव में विभिन्न क्षेत्रों में तबादला कर दिया गया है। हालांकि क्षेत्र में चर्चा है कि स्थानांतरण दो दिग्गज यूनियन नेताओं के वर्चस्व की लड़ाई का परिणाम है। जिन कामगारों का स्थानांतरण हुआ है, उनमें से एक खास यूनियन के लोग बताए जाते हैं। इस स्थानांतरण के बाद बेरमो कोयलांचल में खलबली मची हुई है। जिस यूनियन के सर्वाधिक लोग स्थानांतरि‍त हुए हैं, उनके क्षेत्रीय और प्रोजेक्ट स्तर के प्रतिनिधि मैराथन बैठक कर रहे हैं। कई रांची मुख्‍यालय की भी दौड़ लगाना शुरू कर दिये हैं।

इस संबंध में आम कामगारों की प्रतिक्रिया मिलीजुली आई है। श्रमिक संगठन के प्रतिनिधियों ने अपने-अपने ढंग से इस सामूहिक स्थानांतरण पर अपने मत रखें हैं। इस बारे में पंकज कुमार, महादेव महतो, सीताराम तुरी, महेश रजवार, एमडी मुश्‍ताक ने कहा कि स्थानांतरण सही निर्णय है। विभिन्न कोलियरी, क्षेत्रीय कार्यालय से प्रोजेक्ट कार्यालय में एक पद पर खास करके संवेदनशील पदों पर वर्षों से जमे लोग मलाई काट रहे थे। स्थानांतरण कोई दंड नहीं है, बल्कि एक प्रक्रिया है। इसे कामगारों को संघर्ष सहर्ष स्वीकार करना चाहिए। यदि स्थानांतरण से किसी को दुख पहुंचता है तो यह साफ है कि इससे उनको हानि होगी। उनके मलाई खाने में तबादला खलल साबित होगा। तबादले से कामगारों का ना वेतन कम होगा, ना ही कोई अन्य सुविधाएं। सिर्फ उनके काम करने का स्थल बदल जाएगा। कार्यस्थल से इतना मोह कामगारों के लिए ठीक नहीं है।

इस संबंध में एटक के जवाहर लाल यादव ने कहा कि कंपनी की पॉलिसी के तहत स्थानांतरण हुआ है। इस संबंध में उनका कोई विशेष मत नहीं है। बीएमएस के रविंद्र कुमार मिश्रा ने कहा कि इस संबंध में क्षेत्रीय महाप्रबंधक से बात करेंगे। पता लगाने का प्रयास करेंगे कि सामूहिक स्थानांतरण का आधार क्या है। झाकोमयू के नरेश महतो और झारखंड कोयला श्रमिक संघ के महेंद्र चौधरी ने कहा कि स्थानांतरण सही निर्णय है। अन्य संवेदनशील पदों पर जमे लोगों का भी स्थानांतरण होना चाहिए। रविवार को महाप्रबंधक कार्यालय में प्रबंधन और यूनियन नेताओं की एक अति आवश्यक बैठक भी हुई।