नई दिल्ली। श्रीलंका के कोलंबो मध्य में सिंगापुर के कंटेनर जहाज एमवी एक्स-प्रेस पर्ल में लगी आग को पूरी तरह बुझाने के लिए भारतीय तटरक्षक बल (आईसीजी) के पोत ’वैभव’ और ‘वज्र’ ने समुद्री पानी और फोम का छिड़काव किया है। अशांत समुद्र और प्रतिकूल मौसम की परिस्थितियों के बीच श्रीलंका और भारत के पोतों ने आग पर काफी हद तक काबू पा लिया है। इसके बावजूद आग से घिरे इस पोत पर दोनों ओर से लगातार एएफएफएफ घोल और समुद्री पानी का छिड़काव किया जा रहा है।
जहाज एमवी एक्स-प्रेस पर्ल में दोनों किनारों पर रखे गए कंटेनर आंशिक या पूरी तरह से जल गए हैं। इनमें से कुछ कंटेनरों के पानी में गिरने का खतरा है। भारतीय कोस्ट गार्ड के दोनों जहाज़ों ने आग से घिरे पोत के 40-50 मीटर करीब पहुंचकर समुद्री पानी और फोम का प्रभावी ढंग से छिड़काव किया है। आईसीजी पोतों के इन प्रयासों से सिंगापुर के जल रहे पोत के आगे और बीच के हिस्से में आग कम हो गई है, लेकिन पोत का पिछला भाग अभी भी आग की लपटों से बुरी तरह घिरा है। इस पोत पर 15 मई को भारत के हजीरा बंदरगाह से लोड किये गए 25 टन नाइट्रिक एसिड और अन्य रसायनों सहित 1,486 कंटेनर लदे हैं जिनसे समुद्र में तेल का रिसाव होने की आशंका है।
हालांकि मदुरै से संचालित आईसीजी के डोर्नियर विमान ने 27 मई को इस क्षेत्र में उड़ान भरते हुए देखा है कि अभी तक पोत से किसी प्रकार के तेल का रिसाव नहीं हुआ है। आईसीजी के विशेष प्रदूषण प्रतिक्रिया (पीआर) पोत ’समुद्र प्रहरी’ को भी अग्निशमन प्रयासों को बढ़ाने और किसी भी तरह के तेल का रिसाव होने पर तत्काल काबू करने के लिए भेजा गया है। सिंगापुर का यह जहाज मौजूदा खराब मौसम के कारण एक तरफ झुक गया है जिसकी वजह से कई कंटेनर पानी में गिर गए हैं। भारत से भेजे गए आईसीजी पोत वज्र ने लगभग 4,500 लीटर एएफएफएफ यौगिक और 450 किलोग्राम सूखा रासायनिक पाउडर श्रीलंका के अधिकारियों को सौंपा है। इसी का इस्तेमाल जहाज की आग बुझाने में किया जा रहा है।
आईसीजी प्रवक्ता के अनुसार भीषण आग की वजह से फ़ैल रहे धुएं से क्षेत्र में प्रदूषण होने का खतरा है जिससे तत्काल सहायता के लिए कोच्चि, चेन्नई और तूतीकोरिन में आईसीजी प्रतिष्ठानों को आपात स्थिति में मदद के लिए तैयार रखा गया है। आग पर काबू पाने की दिशा में समूचे अग्निशमन अभियानों को बढ़ाने के लिए श्रीलंका के तटरक्षक बल और अन्य श्रीलंका के अधिकारियों के साथ निरंतर समन्वय बनाए रखा जा रहा है।