पिता की जगह बेटे को मिली नौकरी, मां का अंतिम संस्कार करने से किया इनकार

झारखंड मुख्य समाचार
Spread the love

  • घर के आंगन में शव उतारने नहीं दिया, बेटी और दामाद ने मिलकर किया अंतिम संस्‍कार

रांची। मानवता और रिश्‍ते को शर्मशार कर देने वाली एक घटना प्रकाश में आई है। पिता की मृत्‍यु के बाद अनुकंपा पर नौकरी लेने वाले बेटे ने मां का अंतिम संस्‍कार करने से इनकार कर दिया। शव को घर के आंगन में उतारने से भी मना कर दिया। बहनों के साथ मारपीट भी की। इसके बाद दो बेटियां कंधा देकर मां को श्मशान घाट ले गई। वहां पर अंतिम संस्कार की।

बुधवार को कोरोना रिपोर्ट निगेटिव

झारखंड की राजधानी रांची से सटे कांके प्रखंड के पिठोरिया थाना क्षेत्र के चौबे खंटगा गांव का यह मामला है। यहां के निवासी स्‍व. गागे उरांव की 55 वर्षीय पत्‍नी सांझो देवी की मौत सीसीएल गांधीनगर अस्पताल में 20 मई को हो गई थी। पहले वह कोरोना पॉजिटिव पाई गई थी। हालांकि जांच रिपोर्ट बुधवार को निगेटिव आया थी। मृतका सांझो देवी के इलाज के दौरान इनकी दोनों बेटी रीना देवी और दीपिका कच्छप एवं दामाद बबुआ मुंडा और सुका उरांव ने दो सप्ताह सेवा किया।

बेटे ने घर में ताला जड़ दिया

गुरुवार को जब अंतिम संस्कार करने के लिए दोनों बेटी और दामाद मां का शव लेकर एंबुलेंस से चौबे खटंगा गांव आये। मृतिका के इकलौते बेटे लालु उरांव और बहू सबिता ने घर में ताला जड़ दिया। शव को एंबुलेंस से उतारने से मना कर दिया। बहनों को कहा कि मां का अंतिम संस्कार दूसरे गांव में कर दो। अपने भाई की बात सुनकर दोनों बहनें हैरान हो गई। उनका रो रोकर बुरा हाल हो गया। जब अंतिम संस्कार के लिए शव को घर के आंगन में एंबुलेंस से बेटी और दामाद मिलकर उतारने लगे, तब बेटा एवं बहू अपनी बहनों के साथ हाथापाई और मारपीट करने लगे। इस दौरान पिठोरिया पुलिस को घटना की सूचना दी गई, लेकिन समय पर पुलिस भी नहीं पहुंची।

मां-बाप का इकलौता बेटा है लालु उरांव

लालु उरांव के पिता सीसीएल में नौकरी करते थे। वर्ष 2009 में उनकी मृत्यु हो गयी थी। इसके बाद अनुकंपा के आधार पर 2011 में बेटा को नौकरी मिली है। दोनों बेटि‍यों का कहना है कि जब से अनुकंपा में नौकरी भाई को मिला थी, तब से मां और बहनों से झगड़ा करते रहता है। मां के भरण पोषण के लिए  पैसे भी नहीं देता था। दोनों बहनें ससुराल में रहती हैं। ऐसे में मां दूसरों की मजदूरी तक करने को मजबूर थी। मां की सेवा की बात तो दूर इसे खाना, कपड़ा भी ठीक से नहीं देता था। दोनों बेटी और दामाद ने मृतिका का अंतिम संस्कार अपने   रीति रिवाज के अनुसार गांव के श्मशान घाट में किया।