रांची। उर्दू शिक्षकों के वेतन का आवंटन जारी हो गया। हालांकि लंबी प्रक्रिया को देखते हुए शिक्षकों को पर्व से पहले वेतन मिल पाना मुश्किल लग रहा है। यानी इस बार उनकी ईद के बेरौनक रहने की आशंका है। वर्तमान में राज्य में 689 उर्दू शिक्षक कार्यरत हैं।
सीएम ने 8 मई को दी थी मंजूरी
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने 8 मई को गैर सरकारी सहायता प्राप्त प्रारंभिक विद्यालयों में कार्यरत शिक्षक और शिक्षकेतर कर्मचारियों के वेतन मद में 2 अरब, 24 करोड़, 48 लाख, 56 हजार रुपये के सहायता अनुदान के प्रस्ताव को मंजूरी दी थी। प्रारंभिक विद्यालयों में उर्दू शिक्षकों के स्वीकृत पदों के अवधि विस्तार और वेतन मद में 55 करोड़, 80 लाख, 90 हजार रुपये के प्रस्ताव को भी स्वीकृति दी थी।
वेतन मद में 21.13 करोड़ आवंटित
इस आलोक में प्राथमिक शिक्षा निदेशक डॉ भुवनेश प्रपात सिंह ने 11 मई को उर्दू शिक्षकों के वेतन मद में 21 करोड़ 31 लाख 87 हजार 300 रुपये का आवंटन जारी किया। इसमें कहा गया है कि आवंटन राशि से योजना मद अंतर्गत प्रारंभिक विद्यालय में विधिवत रूप से नियुक्त एवं कार्यरत उर्दू शिक्षकों को भुगतान किया जाएगा। स्वीकृत, कार्यरत बल गत वर्ष और वर्तमान का डाटा मिलान करने की राशि निर्गत की जाएगी। इसके अलावा भी कई और शर्तें इसमें दी गई है।
जल्द कार्रवाई करने की मांग
अखिल झारखंड प्राथमिक शिक्षक संघ के झारखंड प्रदेश अध्यक्ष विजेंद्र चौबे, महासचिव राममूर्ति ठाकुर और मुख्य प्रवक्ता नसीम अहमद ने संयुक्त रूप से आवंटन जारी करने के लिए प्राथमिक शिक्षा निदेशक का आभार जताया है। उन्होंने डीएसई और डीईओ से वेतन भुगतान की दिशा में जल्द से जल्द कार्रवाई करने की मांग की है, ताकि ईद से पहले पैसा शिक्षकों के खाते में चला जाए।
ये है वेतन भुगतान की प्रकिया
सामान्य शिक्षकों के वेतन भुगतान के लिए मात्र डीडीओ का हस्ताक्षर जरूरी है। उनके हस्ताक्षर के बाद बिल सीधे कोषागार में चला जाता है। आम तौर पर बिल जाने के एक दिन बाद वेतन खाते में आ जाता है। किसी तरह की आपत्ति होने पर उसके निराकरण में बिलंब होता है।
उर्दू शिक्षक की नियुक्ति योजना मद में है। इस लिहाज से उनका बिल डीएसई बनाते हैं। इसपर जिला शिक्षा पदाधिकारी का काउंटर साइन होता है। इसके बाद यह कोषागार में जाता है। वहां प्रक्रिया पूरी होने के बाद बहुत जल्द होने पर छह से आठ घंटे में राशि खाते में आती है। अन्यथा एक दिन बाद पैसा खाते में आता है। किसी तरह की आपत्ति होने पर उसमें उसी तरह की देरी होती है।
जानकारी के मुताबिक वर्तमान में कई जिलों में जिला शिक्षा पदाधिकारी अतिरिक्त प्रभार में भी हैं। काम का बोझ अधिक होने के कारण वे एक दिन में आमतौर पर एक ही जिले का फाईल निपटा पाते हैं। उनके काउंटर साइन के बिना बिल कोषागार में जाना मुश्किल है। ऐसी स्थिति में देरी स्वाभाविक है। ईद 14 मई को है। वेतन भुगतान की प्रक्रिया पूरी करने के लिए महज दो दिन का वक्त है।